Prerak Kahani : डर को मन से निकाल दें |
एक गांव में बबलू और पप्पू नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों बेरोजगार थे।
एक दिन बबलू ने पप्पू से कहा, ‘‘क्यों न हम दोनों मिलकर कोई छोटामोटा व्यापार शुरू करें। जिससे हमारी आमदनी बढ़ा सकें और हम भी अमीर बन जाएं।’’
‘‘तेरे विचार तो बहुत अच्छे हैं लेकिन हम गांव में ऐसा कौन सा व्यापार कर सकते हैं, जिसे शुरू करने से हमें लाभ मिल सकता हैं? पप्पू ने कहा।
‘‘इस बारे में यदि सोचा जाएं तो कुछ न कुछ आइडिया जरूर मिल जाएगा।’’ बबलू ने कहा।
दोनों कोई ऐसे काम के बारे में सोचने लगे जिससे अमीर बना जा सकें।
एक दिन बबलू के दिमाग में आइडिया आया कि मुर्गी पाली जाएं तो इससे काफी लाभ हो सकता है।
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उसने इस बारे में अपने दोस्त को बताया।
बबलू ने अपने दोस्त को समझाते हुए कहा, ‘‘मुर्गी पालने पर हमें काफी लाभ मिल सकता है। मुर्गी से अंडे, अंडे से मुर्गी, मुर्गी से फिर अंडे, अंडे से फिर मुर्गी........ इस तरह से मुर्गी और अंडे बेचकर हमारी अच्छी आमदनी हो सकती है। यदि हम मुर्गी की संख्या बढ़ाते जाएं तो इससे मुर्गी फार्म बना सकते हैं।’’
पप्पू ने मुंह बनाते हुए कहा, ‘‘मुझे तेरा आइडिया पसंद नहीं आया। तू छोटे-छोटे मुर्गी और अंडे की बात कर रहा है। छोटे-छोटे मुर्गी और अंडे की बात छोड़ मेरे पास एक बड़ा ही दमदार आइडिया है। तू सुनेगा तो हिल जाएगा।’’
‘‘अच्छा, अब तू ही बता तेरे पास कौन-सा आइडिया हैं।’’
‘‘हम एक भैंस खरीद लेते हैं। भैंस का दूध, दही, छाछ, मक्खन, घी हम बेच सकते हैं और तो और आज कल गोबर भी बिक जाते हैं। एक-एक करके हम कई भैंस खरीद लेंगे। हम डेयरी फार्म के मालिक बन जाएंगे।’’ पप्पू ने कहा.
‘‘आइडिया तो अच्छा है पर हमें पहले कम रूपये से छोटा ही काम शुरू करना चाहिए।’’ बबलू ने कहा।
‘‘लेकिन, मुझे कोई छोटा-मोटा काम नहीं करना हैं। कारोबार करना है तो कोई बड़ा काम करेंगे।’’ पप्पू ने कहा।
दोनों में बहस होने लगी। दोनों अपने-अपने आइडिया को अधिक अच्छा बताने लगे।
आखिर में दोनों इस निर्णय पर पहुंचे कि एक साथ काम करने से अच्छा हम अपने-अपने आइडिया पर अलग-अलग काम करें।
दोनों अपने अपने घर चले गए।
बबलू ने घर पहुंचकर अपनी पत्नी को बताया, वह मुर्गी पालन का व्यापार शुरू करना चाहता है। इसके लिए उसकी मदद की जरूरत है।
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उसकी पत्नी बोली, ‘‘बहुत अच्छी बात है। मैं आपकी पूरी मदद करूंगी। मुझे मालूम है हमारे पास इस काम को शुरू करने के लिए रूपये नहीं है, लेकिन आप घबराए नहीं मेरे पास गहने हैं। मैं अपने गहने दे देती हूं। आप इन्हें बेचकर मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। कमायी होने पर हम नए गहने खरीद लेंगे।’’
बबलू ने गहने बेचकर अपना नया व्यापार शुरू कर दिया। वह शहर से ढे़र सारे चूजे खरीद कर ले आया।
बबलू और उसकी पत्नी दोनों मिलकर चूजों की देखभाल करने लगे।
कुछ ही दिनों में चूजे बड़े हो गए और उन्होंने अंडे देना आरम्भ कर दिया।
बबलू ने अंडे और मुर्गी बेचना भी शुरू कर दिए। इससे उसे लाभ मिलने लगा।
बबलू ने जैसा सोचा था उसने वैसा ही किया और देखते ही देखते अपनी मेहनत से एक दिन मुर्गी फार्म का मालिक बन गया।
दुसरी ओर पप्पू ने जब घर आकर अपनी पत्नी से भैंस पालने की बात की तो उसकी पत्नी नाराज हो गई।
पप्पू की पत्नी ने चिल्लाते हुए कहां, ‘‘टेंट में पैसे नहीं है। कैसे शुरू करोगे भैंस पालने का व्यापार.....?
पप्पू ने कहां, ‘‘तुम्हारे गहने किस दिन काम आएंगे। उन्हें बेचकर हम कारोबार शुरू कर देते हंै। व्यायार खड़ा हो जाने पर मैं तुम्हें इससे अच्छे और मंहगे गहने बना कर दूंगा।’’
‘‘ना बाबा ना, आज तक तो कुछ खरीद कर दिया नहीं, ऊपर से करोबर करने के लिए मेरे गहने मांग रहे हो। मैं अपने गहने नहीं दूंगी। यही एक चीज है जो मेरे रूप की शोभा बढ़ाते हंै। इसके अलावा है क्या मेरे पास।’’
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‘‘मेरी बात मानो हम अपना कारोबार शुरू कर लेंगे तो हमें काफी लाभ होगा।’’ पप्पू ने समझाते हुए कहा।
‘‘चलो तुम्हारे कहने पर गहने बेचकर भैंस खरीद ली और अपना दूध का कारोबार शुरू कर लिया। यदि ंमान लो भैंस मर गई तो, मेरे गहने भी गए और तुम भी बेकार।’’
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यह सुनकर पप्पू ने सोचा उसकी पत्नी ठीक कह रही है। उसने भैंस पालने का विचार त्याग दिया।
कुछ साल बाद एक दिन शाम के समय पप्पू काम से लौट रहा था। इतने में उसके पास एक कार आकर रूकी। उसमें से बबलू उतरा।
सूटबूट में बबलू को देखकर वह चैंक गया।
पप्पू ने कहां, ‘‘अरे, तेरी लाटरी लग गई है क्या?’’
‘‘तुझे याद नहीं मैंने मुर्गी पालने का आइडिया तुझे बताया था। वह आइडिया तुझे पसंद नहीं आया था, लेकिन मैंने अगले दिन से ही मुर्गी पालने का काम शुरू कर दिया। मुर्गी और अंडे बेचकर धीरे धीरे मैं एक बड़े मुर्गी फार्म का मालिक बन गया हूं और तू बता तेरी डेयरी कैसी चल रही हैं।’’ बबलू ने उससे पूछा।
बबलू की बात सुनकर पप्पू चुप रहा।
उसे चुप देख बबलू ने एक बार फिर से पूछा, ‘‘अरे बोल न तेरी डेयरी कैसी चल रही है?
‘‘मैंने तो भैंस खरीदी ही नहीं....।’’
‘‘क्यों?’’
‘‘तेरी भाभी ने कहा, भैंस मर गयी तो.......। मुझे भी यह बात सही लगी। भैंस के मर जाने का भय मेरे दिमाग में बैठ गई और मैंने भैंस खरीदने का विचार छोड़ दिया।
आज तुझे देख कर पछता रहा हूं। यदि मैंने भी भैंस खरीद कर उस वक्त काम शुरू कर दिया होता तो आज मैं भी डेयरी का मालिक होता, लेकिन उस वक्त मन में भैंस के मरने के भय ने मुझे कारोबार शुरू करने का साहस ही नहीं हुआ।’’ कहते हुए उसकी आंखों में आंसू आ गए।
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शिक्षा:- Prerak Kahani : डर को मन से निकाल दें | Apeksha Mazumdar
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- व्यक्ति को काम करने का कोई अवसर नहीं गंवाना चाहिए। दुनिया में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है।
- किसी काम को छोटा समझने वाले कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
- छोटे-छोटे काम करके ही अनुभव आता हैं और उस अनुभव से हम बड़े कामों को सफलता पूर्वक कर सकते है।
- डर को मन से दूर करें और आत्मविश्वास के साथ कार्य को आरम्भ करें। डर अपने आप दूर हो जाता है।
- कभी भी अपने मन में नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
- सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति ही जीवन में उन्नति करते हैं।
- किसी कार्य को शुरू करने से पहले नकारात्मक सोचने के बजाएं, सकारात्मक सोचना चाहिए।
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