moral stories in hindi | motivational stories for employees | लीडर की बातों को महत्व दें |
moral stories in hindi | motivational stories for employees | लीडर की बातों को महत्व दें
सतपुड़ावन में तवा नदी के किनारे एक आम का पेड़ था। उस आम के पेड़ पर कबूतरों का एक झूण्ड रहता था। कबूतरों का राजा पिजन बहुत ही समझदार और बुद्धिमान था।
उसी वन में जग्गू नाम का एक धुर्त सियार रहता था। वह स्वभाव से मक्कार और आलसी था। छोटे-छोटे जानवरों को बेवकूफ बनाकर उन्हंे खा लेता था।
धीरे-धीरे यह बात सभी जानवरों को पता चल चूकी थी। इसीलिए वे जग्गू सियार से बात करना तो दूर उसे देखते ही अपना रास्ता बदल लेते थे। इस तरह जग्गू सियार को अब कई-कई दिनों तक भूखा ही रहना पड़ता था।
एक दिन जग्गू भोजन की तलाश में भटकता हुआ तवा नदी के किनारे पहुंचा।
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भूख से उसका बूरा हाल था। उसने नदी से पानी पीकर अपना पेट भरा और आराम करने के लिए आम के पेड़ के नीचे जाकर लेट गया।
आम के पेड़ पर कबूतरों को देखकर उसने मन ही मन सोचा, यदि मैं इन कबूतरों को पकड़ लूं तो कई दिनों तक भोजन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
यह विचार आते ही वह कबूतरों को पकड़ने के बारे में सोचने लगा।
रात के समय जब सभी कबूतर सो गये, तब जग्गू ने एक पतला सा जाल आम के पेड़ के नीचे बिछा दिया और उस पर ढेर सारा अनाज का दाना डाल कर पास की झाड़ियों में जाकर निश्चित होकर सो गया।
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सुबह होने पर सभी कबूतर भोजन की तलाश मे जाने की तैयारी करने लगे। तभी चुन्नू कबूतर की नजर पेड़ के नीचे गई।
उसने कहां, ‘‘देखों दोस्तों, यहां कितना सारा अनाज पड़ा हुआ है।’’
चुन्नू की बात सुनकर मुनमुन कबूतर ने नीचे देखते हुए कहां, ‘‘वाह! आज हमें भोजन की तलाश में कही नहीं जाना पड़ेगा।’’
‘‘आओ हम सभी मिलकर दावत खाएं,’’ चुन्नू कबूतर बोला।
‘‘ठहरो, कोई नीचे नहीं उतरेगा,’’ पिजन ने उन्हें रोकते हुए कहां।
उसकी बात सुनकर सभी कबूतर अपनी-अपनी जगह रूक गये।
चुन्नू ने मुनमुन से कहां, ‘‘कैसा मुर्ख राजा है। यहां इतना भोजन है और ये हमें खाने से रोक रहा हैं।’’
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मुनमुन बोली, ‘‘मुझे तो पहले से ही इसका राजा बनना पसंद नहीं था। यह न खुद खाएगा और न हमें खाने देंगा।’’
पिजन ने सभी को समझाते हुए कहां, ‘‘मेरी बातें ध्यान से सुनो। तुम सभी आस पास के पेड़ों में जाकर छुप जाओ, कोई भी आवाज़ नहीं करना। देखने वालों को ऐसा लगे मानो यहां कोई है ही नहीं। जब तक मैं आवाज़ न दूं कोई बाहर नहीं आना।’’
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सभी कबूतर आस-पास के पेड़ो में जाकर छुप गये।
सुबह जब जग्गू की आंख खुली तो वह बहुत खुश था। उसने सोचा जाल में अब तक बहुत सारे कबुतर फंस गये होगे, लेकिन उसने जैसे ही जाल की तरफ देखा, वहां एक भी कबूतर दिखाई नहीं दिए। न ही उनकी कोई आवाज आ रही थी।
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वहां का वातावरण एकदम शांत था। वह झाड़ियों से बाहर निकलकर पेड़ पर कबुतरों को ढुढ़ने लगा।
कबुतर की तलाश में जग्गू भूल गया कि उसने नीचे जाल बिछा रखा हैं। वह जैसे ही आम के पेड़ के नीचे पहुंचा उसका एक पैर जाल में फंस गया।
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जग्गू ने अपने दुसरे पैर से जाल हटाने की कोशिश की तो उसका दुसरा पैर भी जाल में फंस गया। इस तरह एक-एक करके उसके चारांे पैर जाल में उलझ गये।
पेड़ों में छुपे कबूतर अपनी सांसे रोके जग्गू को देख रहे थे।
जग्गू जैसे ही पूरी तरह जाल में फंस गया तो वह बचाओं-बचाओं की आवाज लगाने लगा, लेकिन उसे कोई बचाने नहीं आया।
राजा पिजन ने आवाज देकर अपने साथियों को बाहर आ जाने के लिए कहां।
चुन्नू ने राजा पिजन से माफी मांगते हुए कहां, ‘‘मुझें माफ कर दीजिए। मैं न जाने आपके बारे में क्या-क्या सोच रहा था।’’
उसकी बात सुनकर मुनमुन ने भी माफी मांगते हुए पूछा, ‘‘आपको कैसे पता चला कि यहां जाल बिछा हुआ हैं?’’
पिजन बोला, ‘‘सच पूछो तो मुझे जाल के बारे में नहीं पता था, लेकिन इतने सारे अनाज के दाने यहां देखकर मुझे खतरा नजर आया।
रात में जब हम सभी सोए तो यहां अनाज के दाने नहीं थे। जरा सोचों, आस पास कोई खेत नहीं है और न ही यहां से आने जाने का कोई रास्ता। फिर यह अनाज के दाने रातों रात आए कहां से ?’’
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पिंजन की बात सुनकर सभी कबुतर एक दुसरे का मुंह देखने लगे।
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पिजन ने आगे कहां, ‘‘रातों रात यहां अचानक इतने सारे अनाज के दाने होने का मतलब था कोई हमें लालच देकर अपने जाल में फंसाना चाहता है। लेकिन कौन? यही देखने के लिए मैंने तुम सभी को शांत रहने के लिए कहां। हमारी आवाज़ न पाकर यह धुर्त सियार हमें ढुढ़ने लगा और खुद ही अपने बिछाएं हुए जाल में फंस गया।’’
राजा की समझदारी और बुद्धिमानी के कारण कबुतरों की जान बच गयी।
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शिक्षा:- motivational stories for employees
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- लालच नहीं करना चाहिए, क्योंकि लालच में आकर ही हम गलतियां करते हैं और बदमाश व मक्कार लोग के शिकार हो जाते हैं।
- जो व्यक्ति लालच करते हैं धुर्त व्यक्ति उसकी इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं।
- यदि आप एक टीम में रहकर कार्य कर रहे है तो अपने टीम के लीडर की बातों को माने। उसके अनुभवों विचारों को महत्व दें।
- अपने बुजुर्गो व बड़ों की बातों को मानना चाहिए। उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
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