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Inspirational Short Stories : Boast of education | विद्या का घमंड

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Inspirational Short Stories : Boast of education | विद्या का घमंड 

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बहुत पुरानी बात है। काशी से दो विद्वान पंडित अपना शास्त्र विद्या पूरी करके लौट रहे थे। दोनों को अपनी विद्या का बहुत अधिक घमंड़ था। 
चलते-चलते रात हो गई। दोनों पंडित एक गांव के पास पहुंचें। उन्होंने निश्चय किया कि रात इसी गावं में रूका जाए।



दोनों पंड़ितों ने रूकने के लिए गांव के एक व्यापारी का घर चुना। दोनों व्यापारी के पास गए और रात में उनके यहां रूकने की इच्छा जाहिर की। 
मेहमान भगवान का रूप होते हैं, यह सोचकर व्यापारी ने उनके रहने की व्यवस्था करवा दी और नौकरों से उनके खाने पीने की व्यवस्था करने के लिए कह दिया।


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व्यापारी अपने काम से फुर्सत होकर दोनों पंड़ितों से मिले और उनसे बातचीत की। पंड़ितों की बातचीत से व्यापारी उनके अहंकारी स्वभाव को समझ गया। 



व्यापारी ने दोनों से अलग-अलग प्रश्न किया।
व्यापारी ने पहले पंड़ित से पूछा, ‘‘आप दोनों में सबसे अधिक अध्ययन किसने किया हैं?’’
पहले पंड़ित ने कहा, ‘‘मैंने सबसे अधिक ज्ञान प्राप्त किया हैं, वह तो बैल हैं।’’
व्यापारी ने दूसरे पंड़ित से भी यही प्रश्न दोहराया, ‘‘आप दोनों में सबसे अधिक अध्ययन किसने किया हैं?’’




दूसरे पंडित बोला, ‘‘वह निरा गधा है, मैंनें उससे अधिक ज्ञान प्राप्त किया है।’’



दोनों के उत्तर सुनकर व्यापारी उदास हो गया। उसने अपने नौकरों से खाना परोसने के लिए कहा।


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स्वादिष्ट पकवानों की कल्पना करते हुए दोनों पंडित खाना खाने के लिए आसन पर बैठ गए। लेकिन ये क्या, नौकरों ने व्यंजनों के बदले एक थाली में भूसा और दूसरे में चारा लाकर परोस दिया।

यह देखकर दोनों पंड़ितों को गुस्सा आ गया। उन्होंने गुस्से से कहा, ‘‘क्या हम जानवर है जो घास और भूसा खाने के लिए दिया है। आपने हमारा अपमान किया हैं।’’



व्यापारी ने शांति से कहां, ‘‘मैंने वैसा ही किया हैं, जैसा आप लोगों ने एक-दूसरे का परिचय दिया। अभी कुछ समय पहले ही आप दोनों ने एक दूसरे को बैल व गधा कहा हैं। इसीलिए मैंने बैल के लिए चारा और गधे के लिए भूसा परोसा है।’’

व्यापारी की बात सुनकर दोनों पंड़ितो को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने व्यापारी से माफी मांगी और अपने अंहकार को त्याग दिया।



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