Prerak Kahani : Moral Stories in Hindi | बुरी आदतों ने नहीं, आपने उसे पकड़ रखा हैं - Prerak kahani | Hindi Stories

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Prerak Kahani : Moral Stories in Hindi | बुरी आदतों ने नहीं, आपने उसे पकड़ रखा हैं

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Prerak Kahani : Moral Stories in Hindi | बुरी आदतों ने नहीं, आपने उसे पकड़ रखा हैं


Prerak Kahani : Moral Stories in Hindi

बुरी आदतों ने नहीं, आपने उसे पकड़ रखा हैं

शारू गधा सतपुड़ावन का सुपर स्टार था। उसकी जो भी फिल्म रिलीज होती, सतपुड़ावन के जानवर उसे देखने के लिए टूट पड़ते थे।

शारू की एक बूरी आदत थी। वह सिगरेट बहुत पीता था। उसने अपने दोस्तों के कहने पर सिगरेट छोड़े की काफी कोशिश की, लेकिन सिगरेट छोड़ नहीं पाया। 


प्रत्येक साल, शारू सिगरेट छोड़ने का संकल्प लेता था। मुश्किल से एक सप्ताह बीतता था कि वह फिर से सिगरेट पीने लग जाता था।

इस बार उसने नए साल पर मीडिया को बुलाया और उनके सामने सिगरेट छोड़ने का संकल्प लिया। 

मीडिया ने इस बार उसे आड़े हाथ लिया। 

सतपुड़ा टाइम्स के प्रतिनिधि बहादुर कुत्ते ने शारू से पूछा,‘‘ पिछले कई साल से सिगरेट छोड़ने का संकल्प मीडिया के सामने ले रहे हो, लेकिन सिगरेट छोड़ नहीं सकें। इसका क्या मतलब?
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‘‘कोशिश तो मैं सिगरेट छोड़ने की जरूर करता हूं कमबख्त यह मुझसे छूटती नहीं है। इस बार मैं शिकायत का मौका नहीं दूगा।’’ शारू ने कहा।

‘‘यह बात हर बार कहते हैं।’’ किसी पत्रकार ने कहा।

‘‘पुरानी बात छोड़े इस बार ऐसा नहीं होगा।’’ शारू ने जबाव दिया।

‘‘ऐसी क्या वजह है कि आप सिगरेट छोड़ नहीं पा रहे है?’’ एक पत्रकार ने पूछा।

‘‘कभी-कभी कुछ ऐसी आदतें जकड़ लेती है जो छुटती नहीं है।’’ शारू ने कहा।

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‘‘यह सिगरेट छोड़ने का संकल्प कितने दिनों के लिए है?’’

‘‘जी मैं हमेशा के लिए छोड़ना चाहता हॅॅू। आप लोगों के पास इसे छोड़ने का कोई उपाय है तो कृप्या बताए, मैं करने के लिए तैयार हूं।’’ शारू ने कहां।

चंपक टाइम्स के पत्रकार वाइटी खरगोश ने कहा, ‘‘मैं एक ऐसे सख्स को जानता हूॅ जो तुम्हारे इस लत को छुड़ा सकता है।’’

शारू खड़ा होते हुए बोला, मैं उस सख्स से मिलना चाहता हूं, कृप्या मुझे उसके पास ले चलो।’’ 

अगले दिन वाइटी, शारू को बंटी बंदर के पास ले गया। 

शारू ने बंटी को अपनी समस्या बताई।

शारू की बात सुनकर बंटी बोला, ‘‘मामला बहुत ही जटिल है। इसके लिए तुम्हें मेरे गुरू के पास चलना होगा। बाहर मेरा इंतजार करो मैं अभी तैयार होकर आया।’’




शारू और वाइटी बाहर आकर कार में बैठ गए और बंटी के आने का इंतजार करने लगे। 

काफी देर हो गई बंटी बाहर नहीं आया। 

बंटी को बुलाने के लिए शारू ने कार का हार्न बजाया, लेकिन तब भी वह बाहर नहीं आया।

शारू लगातार होर्न बजाने लगा।
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हार्न के कुछ देर बाद अंदर से बंटी की आवाज़ आयी, ‘‘शारू दौड़ कर मेरे पास आओ, देखों यह मुझे छोड़ नहीं रहा है।’’ 

आवाज सुनकर शारू और वाइटी दौड़कर अंदर गए। उन्होंने देखा बंटी एक खम्बा पकड़े जोर-जोर चिल्ला से  रहा था। ‘‘मुझे छोड़ दो मुझे जरूरी काम से जाना है। मुझे देर हो रही है।’’

यह देखकर शारू ने हंसते हुए कहां, ‘‘तुम क्या कह रहे हो, खम्बा ने तुम्हें पकड़ रखा हैं, बल्कि तुमने ही तो खम्बे को पकड़ रखा है।’’

बंटी ने शारू को खम्बा दिखाते हुए कहा, ‘‘नहीं-नहीं तुम गलत देख रहे हो। मैं जो कह रहा हूं वहीं सच है। ठीक से देखो खम्बे ने मुझे जकड़ रखा है।’’ 



शारू नाराज़ होते हुए बोला, ‘‘प्लीज, मजाक छोड़िए जल्दी से मुझे अपने गुरू के पास ले चलो, मेरे पास एक सेकेण्ड के लिए फालतू समय नहीं है।’’ 

बंटी ने खम्बे को डांटते हुए कहा, ‘‘देख नहीं रहा है, हमारे एक्टर महोदय कितना नाराज हो रहे हैं। जल्दी से छोड़ दें मुझे उन्हें अपने गुरू के पास लेकर जाना है।’’

शारू ने वाइटी से कहा, ‘‘किस मूर्ख के पास लेकर आए हो। देखो, मूर्ख की तरह खुद ने खम्बे को पकड़ रखा है और खम्बे से कह रहा हैं छोड़ दें..... छोड़ दें। खम्बा ठहरा निर्जीव क्या वह इसे पकड़ कर रख सकता है।’’


शारू बाहर जाते हुए बोला, ‘‘खामखा, मुझे यहां लाकर मेरा टाइम बर्बाद कर दिया।’’ 

शारू बाहर जाने लगा तो बंटी ने रोकते हुए कहां, ‘‘शारू रूको। यह देखकर जब तुम कह सकते हो कि एक निर्जीव खम्बा  मुझे पकड़ कर नहीं रख सकता हैं, तब एक निर्जीव सिगरेट तुम्हें कैसे पकड़ कर रख सकती है। अब तुम खुद ही समझ सकते हो की सिगरेट ने तुम्हें नहीं, बल्कि तुमने सिगरेट को पकड़ रखा है।’’

बंटी की बात सुनकर शारू समझ गया की आज तक उसने स्वयं ही बुरी आदत को अपने से लगा कर रखा था। 



शारू ने माफी मांगते हुए कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हें गलत समझा था और गुस्से में आकर न जाने तुम्हें क्या कुछ कह दिया। तुम बिलकुल सही कह रहे हो.... मैंने ही सिगरेट को पकड़ रखा हैं।’’

उस दिन से शारू के सिगरेट पीने की आदत छुट गयी। 

शिक्षा:- Prerak Kahani : Moral Stories in Hindi | बुरी आदतों ने नहीं, आपने उसे पकड़ रखा हैं

Prerak Kahani : Moral Stories in Hindi

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि  

  • झूठ बोलना, गाली देना, नशा करना, चोरी करना जैसी बुरी आदतों को हम स्वयं अपने से बांध कर रखते हैं। 

  • बुरी आदतें हमें नहीं बल्कि हम उन्हें पकड़कर रखते हैं। कोशिश करके हम बुरी आदतों को छोड़ सकते हैं।

  • बुरी आदतों को व्यक्ति स्वयं पकड़ कर रखता है और प्रचार करता है कि फलां आदत उसे छोड़ती ही नहीं हैं।

  • जब तक हम स्वयं बुरी आदतों को छोड़ने का प्रयास नहीं करेंगे, तब तक बुरी आदतें छुटती नहीं हैं।

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