Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya |
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
शत्रु के साथ भी मित्रतापूर्ण व्यवहार करें
राजा शेरसिंह अपने मंत्री बहादुर चीता के साथ बैठे हुए थे। तभी टोनी कुत्ता हांफते हुए आया।
टोनी ने कहां, ‘‘महाराज सतपुड़ावन में सतपुड़ा बांध टूट गया हैं। चारों ओर पानी भर गया हैं। सभी जानवर मुसीबत में हैं।’’
‘‘सतपुड़ा बांध टूट गया हैं। यह तो बहुत बूरा हुआ। हमें उनकी मदद करनी चाहिए। जितनी जल्दी हो सकें उन्हें मदद पहुंचाने की व्यवस्था की जाएं।’’ राजा शेरसिंह ने कहां।
महाराज यह आप क्या कह रहे हैं। वह तो हमारे दुश्मन हैं। ऐसे में हम उनकी मदद क्यों करें। हमें तो मौके का फायदा उठाना चाहिए।’’ चीता ने कहां।
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
‘‘नहीं, किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। भले ही वे हमारे दुश्मन हैं, फिर भी मुसीबत के समय हमें उनकी मदद करनी चाहिए।’’
राजा शेरसिंह की बात सुनकर बहादुर चीता को अच्छा नहीं लगा। वह तो हमेशा से सतपुड़ावन को खत्म करने की फिराक में रहता था। आज उसे मौका मिला था, लेकिन राजा शेरसिंह की वजह से वह अपने मकसद को पूरा नहीं कर पा रहा था।
राजा शेरसिंह ने बहादुर चीता से कहां, ‘‘सतपुड़ावन में मदद सामग्री भेंजने की जिम्मेदारी में तुम्हें सौंपता हूं।’’
बहादुर खुश हो गया। उसने मन ही मन अपने मकसद को पूरा करने की योजना बना ली।
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya |
राजा द्वारा भेजी जाने वाली सहायता सामग्री को उसने सतपुड़ावन के व्यापारियों को बेच दिया और उनकी मदद के लिए दिया जाने वाला सारा धन अपने बैंक में जमा करवा दिया।
राजा शेरसिंह के पूछने पर उसने कह दिया कि सहायता सामग्री उसने पहुंचा दी हैं।
सतपुड़ावन का पानी बढ़ते-बढ़ते वन की सीमा पार करके आसपास की ओर बढ़ने लगा और कुछ ही दिनों में कानन वन भी बाढ़ की चपेट में आ गया।
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
काननवन में बाढ़ की खबर किसी को नहीं हुई थी। शुरू-शुरू में पानी आने लगा, तो बहादुर चीता ने सभी को यह कह कर शांत करवा दिया कि यह पानी एक दो दिन में उतर जाएगा।
बहादुर चीता की बातों से सभी जानवर निश्चित हो गये, लेकिन एक दिन अचानक काननवन में चारों ओर पानी भर गया।
छोटे-मोटे जानवर तो पानी में बह गये। जो बचे थे वे अपने-अपने जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे।
बहादुर चीता अपने घर में आराम से बैठा तंदुरी खा रहा था। उसे अब किसी चीज की कमी नहीं थी। उसके पास लाखों रूपये जमा हो चुके थे। क्योंकि बाढ़ राहत कोष में जमा राशि उसने अपने पास ही रख लिया था।
अचानक उसकी पत्नी चांदनी ने आकर कहां, ‘‘बाहर चारों ओर पानी भर गया हैं। हमें अपना घर छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान की तलाश में जाना होगा।’’
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
यह सुनते ही बहादुर चीता के होश उड़ गये। उसने कहां, ‘‘तुम बच्चों को लेकर चली जाओं। मैं इतना रूपया पैसा छोड़कर नहीं जा सकता।’’
‘‘जिंदा रहे तो रूपया पैसा फिर से कमा सकते हो। वैसे, भी बेईमानी की दौलत कभी किसी के काम नहीं आता हैं।’’ पत्नी ने कहा।
चीता जाने को तैयार नहीं था। इधर घर में पानी भरने लगा, बच्चे डर के मारे रोने लगे।
बहादुर की पत्नी चांदनी ने कहां, ‘‘अब सोचने का समय नहीं है, अपनी जान बचाना है तो चलो।’’
बहादुर दुखी मन से अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर सुरक्षित स्थान की ओर चल पड़ा। धीरे-धीरे पानी उनके गले तक आ गया था। बच्चे तो पूरी तरह से पानी में डूब गये थे।
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
काफी चलने के बाद उन्हें कुछ दूर एक छोटा सा टापू दिखाई दिया। दोनों अपने-अपने बच्चों को पकड़े उस ओर बढ़ने लगे। वहां वन के दुसरे जानवर भी थे।
जब उन्होंने बहादुर चीता के परिवार को पानी में देखा तो सभी ने बढ़कर उन्हें पानी से बाहर खींच लिया।
उस छोटे से टापू पर न पीने को पानी था, न खाने को कुछ था। ऊपर से बहादुर चीता के दोनों बच्चे पानी में डूब जाने की वजह से उनकी हालत भी काफी नाजुक थी।
तभी आसमान पर उसने सतपुड़ावन के चील और कौओं को देखा। उनके पास राहत सामग्री थी। उन्होंने खाने-पीने का सामान आदि देकर जाने लगे।
तभी टीना कौवी की नजर दोनों बच्चों पर पड़ी। चांदनी उनके पास बैठकर रो रही थी।
टीना कौवी ने चांदनी को सांत्वना देते हुए कहां, ‘‘तुम्हारे बच्चो को कुछ नहीं होगा। मैं अभी डाक्टर लेकर आती हूं।’’
Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
बहादुर चीता को रह-रह कर सतपुड़ावन के जानवरों की याद आ रही थी। जिनके लिए भेजा गया भोजन, दवाई और अन्य जरूरी सामानों को उसने व्यापारियों को बेच दिया था।
Read This :-
सतपुड़ावन के जानवरों द्वारा की गयी मदद से बहादुर चीता की आंखे खुल गयी। उसे अपने किये पर बहुत पश्चाताप हो रहा था। उसने मन ही मन फैसला किया कि आज से वह भी हमेशा दूसरों की मदद करेगा।
शिक्षा:- Moral Stories in Hindi | nani ki kahani | Prerak Kahaniya
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- कोई व्यक्ति किसी दूसरे के दुखः दर्द को तभी समझ सकता है जब वह स्वयं उसे भोगता हैं।
- प्रत्येक व्यक्ति को दुसरे से सहानुभूति रखनी चाहिए। उनके दुखः दर्द को अपना समझकर दूर करना चाहिए।
- जब आपके मन में शत्रु के प्रति दया व प्रेम की भावना जागती है और उसकी मदद के लिए आगे आते हैं, तब सामने वाला भी आत्मिक गहराई से आपसे जुड़ जाता है।
- शत्रु के साथ शत्रुता निभाना तो आसान है, लेकिन शत्रु के साथ मित्रता का व्यवहार करना ही सच्ची मानवता हैं।
- मुसीबत के समय आपसी दुश्मनी को भूल कर जरूरतमंदो की सहायता करनी चाहिए। कभी भी किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। मुसीबत के समय मिलजुल कर उसका सामना करना चाहिए।
Read This :-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.