प्रेरक कहानियां : नकलची बंदर | रोटी का बंटवारा - Prerak kahani | Hindi Stories

Breaking

Home Top Ad

प्रेरक कहानियां : नकलची बंदर | रोटी का बंटवारा

प्रेरक कहानियां : रोटी का बंटवारा, Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, Prerak Kahani, Baccho ki Kahani, dadi ki kahani, Moral Stories in Hindi, nani ki kahani, Prerak Kahani, Prerak Kahaniya, prerak prasang,

प्रेरक कहानियां : रोटी का बंटवारा



प्रेरक कहानियां : रोटी का बंटवारा

एक दिन दो बिल्ली कहीं से एक रोटी लेकर आई।  दोनों में रोटी के बंटवारे को लेकर झगड़ा होने लगा।

एक बोली, ‘‘रोटी मैं लेकर आई हूं, इसलिए मुझे रोटी का अधिक हिस्सा मिलना चाहिए।

दूसरी बोली, ‘‘मैंने रोटी दिखाई थी, इसलिए रोटी का बड़ा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए।’’ 

दोनों में रोटी को लेकर झगड़ा होने लगा।

वहीं पास के एक पेड़ पर बैठा बंदर दोनों बिल्ली का झगड़ा देख रहा था। 



Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, Prerak Kahani, Baccho ki Kahani, dadi ki kahani, Moral Stories in Hindi, nani ki kahani, Prerak Kahani, Prerak Kahaniya, prerak prasang, 

वह पेड़ से उतर कर उनके पास आया और बोला, ‘‘तुम दोनों आपस में क्यों झगड़ रही हो। इस तरह से तुम दोनों रोटी कैसे खा सकोगी। मेरी मानो तो रोटी का आधा आधा हिस्सा आपस में बांट लो।’’

‘‘लेकिन रोटी का बराबर हिस्सा कैसे होगा।’’ बिल्ली बोली।



बंदर कहीं से एक तराजू ले आया और उसने रोटी के दो टुकड़े किया और दोनों पल्लो पर रख दिया।

एक तरफ का पल्ला झुक गया। बंदर ने उसमें से रोटी काट कर खा ली। इस बार तराजू के दूसरी तरफ का पल्ला भारी हो गया। बंदर ने उस ओर की रोटी में से काट कर खा लिया।


जब दोनों बिल्लयों ने देखा इस तरह से बंदर उनकी पूरी रोटी खा लेंगा तो उन्होंने कहा, ‘‘बस, रहने दो हम आपस में इतना ही खा लेंगे।’’

बंदर बोला, ‘‘वाह, इतनी मेहनत की मैंने मुझे कुछ नहीं। यह मेरा हिस्सा हैं।’’ कहते हुए बंदर बाकी रोटो भी चट कर गया।

Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, Prerak Kahani, rani ki kahani , dadi ki kahani, nani ki kahani, pariyon ki kahani, baccho ki kahani, jadui kahani, moral stories,



इसीलिए कहा जाता है कि आपस में नहीं झगड़ना चाहिए। इससे दोनों का नुकसान होता है और फायदा किसी तीसरे का होता है।


*******************

नकलची बंदर



बंदर स्वभाव से नकलची होते हैं। एक दिन एक बंदर घूमता-घूमता एक पेड़ पर जाकर बैठ गया।

वह पेड़ एक मकान के छत से पास लगा हुआ था। मकान के छत पर एक व्यक्ति बैठकर अपनी दाढ़ी बना रहा था।

बंदर की नज़र उस व्यक्ति पर गई। 


व्यक्ति आईने के सामने बैठकर तरह-तरह से मुंह बना रहा था। यह देखकर उस बंदर के मन में कौतुहल जागा। वह गौर से व्यक्ति की हरकतों को देखने लगा।

Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, Prerak Kahani, rani ki kahani , dadi ki kahani, nani ki kahani, pariyon ki kahani, baccho ki kahani, jadui kahani, moral stories,



कुछ देर बाद वह व्यक्ति अपनी दाढ़ी बनाकर नीचे चला गया। उसके दाढ़ी बनाने का सामान छत पर ही रह गया। कुछ देर तक बंदर ने किसी के आने का इंतजार किया। लेकिन जब वह व्यक्ति छत पर नहीं आया तो वह पेड़ से उतर कर छत पर आ गया। 

बंदर ने इधर-उधर देखा और दाढ़ी बनाने वाले सामानों के पास आकर बैठ गया। उसने साबुन लेकर अपने चेहरे पर लगाया और वह व्यक्ति की तरह मुंह बनाकर अपने चेहरे पर उस्तरा चलाने लगा

उस्तरा काफी धारदार था। इससे बंदर का गला कट गया और उससे खून बहने लगा। बंदर दर्द से छटपटाने लगा और कुछ ही समय में उसकी मौत हो गई। 

 इसीलिए कहा जाता है कि कभी भी बिना सोचे समझे किसी की नकल नहीं करनी चाहिए।

Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, Prerak Kahani, rani ki kahani , dadi ki kahani, nani ki kahani, pariyon ki kahani, baccho ki kahani, jadui kahani, moral stories,

Read This :- प्रेरक कहानियां : Prerak Kahaniya | बंदर और मगरमच्छ



*******************

मजाक


एक लकड़हारा था। वह बहुत ही शरारती था। अक्सर लोगों को परेशान करने के नए-नए तरीके ढुढ़ता रहता था। 

एक दिन वह जंगल में लकड़ी लेने गया। उसने देखा आस-पास के खेतों में लोग काम कर रहे है। उन्हें परेशान करने के लिए वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, ‘‘बचाओ.... बचाओ बाघ आया।’’

लकड़हारे की बात सुनकर लोग अपने खेतों का काम छोड़कर लकड़हारे के पास दौड़े-दौड़े आए।

एक ने पूछा, ‘‘कहा है बाघ?’’

लकड़हारा हंसते हुए बोला, ‘‘बाघ तो नहीं हैं, मैं तो ऐसे ही चिल्ला रहा था।’’

Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, Prerak Kahani, rani ki kahani , dadi ki kahani, nani ki kahani, pariyon ki kahani, baccho ki kahani, jadui kahani, moral stories,



लकड़हारे की बात सुनकर लोगों को गुस्सा आ गया। उन्होंने उसे डांटा और अपने-अपने काम में लग गए।

लकड़हारे के माता-पिता को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने उसे समझाया की इस तरह का मजाक करना अच्छी बात नहीं हैं। इससे कभी-कभी मुसीबत में भी फंस सकते हो। लेकिन लकड़हारे को अपने माता-पिता की बातों का कोई असर नहीं हुआ।

इसी तरह एक दिन सही में बाघ आ गया। लकड़हारा जोर-जोर से चिल्लाने लगा। खेतों में काम करने वालों ने समझा आज भी लकड़हारा मजाक कर रहा है, इसीलिए कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं गया। बाघ ने लकड़हारे को खा लिया।


इन्हें भी पढ़े:-
AasthaPuja-PathPanchangSanatana dharmaTirtha YatraTona Totka,  AstrologyDharma-karmaDharmik-SthalJeevan MantraFeng Shuivastu-shastraBusiness IdeasWomen BusinessHindi Crime StoryJobsStatus Guru Hindi,  Beauty Tips

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Pages