Moral Stories in Hindi : अवसर को जाने न दें |
Baccho ki Kahani | Moral Stories in Hindi अवसर को जाने न दें
हर kahani (कहानी) कुछ कहती है। कहानियों से हमे सीख मिलती है। हर kahani (कहानी) का एक उद्धेश्य होता है। आज मैं जो kahani (कहानी) सुनाने जा रही हूं उसका उद्धेश्य है अवसर को जाने न दें।शांतिपुर के राजा सुमेर सिंह काफी बूढ़े हो गये थे। सुमेर सिंह न्याय प्रिय राजा थे। उनके राज्य में चारों ओर खुशहाली थी। राजा निसंतान थे। वे अपने जीते जी किसी योग्य व्यक्ति को राज्य का उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे।
उत्तराधिकारी चुनने के लिए उनके दिमाग में एक युक्ति आयी। उन्होंने स्वयं एक बड़ा-सा चित्र बनाया और उसे दरबार में रखवा दिया।
उन्होंने राज्य में घोषणा करवा दी कि जो व्यक्ति इस चित्र के बारे में सबसे सही समीक्षा करेगा उसे राज्य का उत्तराधिकारी बनाया जायेगा।
दरबार में लोगों की भीड़ लगने लगी। राजा का उत्तराधिकारी बनने के लिए लोग चित्र को देखे बिना ही राजा और उनके बनाए चित्र की तारीफ करने लगते।
जो भी व्यक्ति दरबार में आता, चित्र को एक नज़र देखकर राजा की वाहवाही करने लगते।
‘‘वाह! हुजूर आपने तो एकदम जीवंत चित्र बनाया।’’
कोई कहता, ‘‘आप जैसा कोई चित्रकार इस विश्व में नहीं हैं।’’
‘‘चित्र और असल में फर्क करना मुश्किल हैं।’’
राजा उनकी तारीफ बड़े ध्यान से सुनते और मुस्करा देते थे।
उस भीड़ में एक व्यक्ति ऐसा भी था जो बड़े गौर से उस चित्र को देख रहा था। काफी देर तक चित्र देखने के बाद वह बिना कुछ कहें, वहां से लौटने लगा।
इतने में राजा की नज़र उस युवक पर पड़ी। उन्होंने युवक को रोकते हुए उससे पूछा, ‘‘तुम काफी देर से चित्र को देख रहे थे, लेकिन तुमने इसके बारे में कुछ नहीं कहां। बताओं तुम्हें यह चित्र कैसा लगा?’’
‘‘हुजूर, इसका जवाब में नहीं देना चाहता ...।’’ युवक ने राजा से कहा।
उस युवक की बात सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग चैंक गये।
सभी आपस में खुसर-फुसर करते हुए व्यक्ति की बुराई करने लगे कि कैसा अजीब युवक है। राजा द्वारा बनाई गयी पेंटिग की तारीफ भी नहीं कर सकता है। लगता है इसकी मौत आयी है। राजा इसे जरूर सजा देंगे। हो सकता है इसे फांसी की ही सजा दे दें।
राजा ने दरबार में उपस्थित लोगों को शांत रहने का इंशारा किया।
उन्होंने उस युवक से दोबारा पूछा, ‘‘पेंटिग में ऐसी क्या बात है जो तुम पेंटिग के बारे में कहने का साहस नहीं कर पा रहे हो।’’
‘‘हुजूर, यदि यह बात मैंने इस भरी दरबार में कहीं तो आपको सुनकर बहुत दुख होगा। इसलिए मैं इस पेटिंग के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं।’’ युवक ने कहां।
‘‘फिर भी हम सुनना चाहेंगे.....?’’ राजा ने उसे आदेश दिया।
‘‘हुजूर, यह पेंटिग घटिया और बेकार है। इसमें कोई खासियत तो दूर इस पेटिंग में कमिया ही कमिया है और रंगों का भी सही प्रयोग नहीं किया गया है।’’ उस युवक बेधड़क होकर कहां।
यह सुनते ही राजा क्रोध से चीखते हुए बोले, ‘‘तुम्हारा यह साहस की तुम मेरे द्वारा बनाए गए पेंटिग को घटिया और बेकार कहोे .......।’’ राजा ने सिपाहियों से उस युवक को गिरफ्तार कर लेने का आदेश दिया।
‘‘हुजूर, मुझे गिरफ्तार करके आप अपने पेंटिग को अच्छा और सही नहीं कहलवा सकते है।’’
सिपाहियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। वहां उपस्थित लोग उसे फांसी की सजा देने की बात कहने लगे।
राजा ने कहा, ‘‘इसका फैसला हम कल राज दरबार में करेगे।’’
अगले दिन राज दरबार में काफी भीड़ थी। लोग राजा की बुराई करने वाले युवक को क्या सजा मिलेगी यह जानने के लिए उत्सुक थे।
राजा के आदेश पर व्यक्ति को दरबार में उपस्थित किया गया।
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सजा सुनाने से पहले राजा ने उस युवक से कहां, ‘‘यदि तुम अब भी माफी मांग लेते हो तो तुम्हारी सजा माफ कर दी जाएगी।’’
हुजूर, मैं अब भी वहीं बात कहूंगा जो कल कहीं थी कि आप के द्वारा बनाई गयी पेंटिग घटिया और बेकार है।’’ उस युवक ने निर्भय होकर कहा।
सजा देने से पहले हम यह जानना चाहते है कि यह पेंटिग घटिया और बेकार क्यों है?’’
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हुजूर, पेंटिग में जानवर और पेड़ों की छाया को दर्शाया गया है। वह सूर्य की ओर है। जबकि प्रकृति के नियम के अनुसार छाया हमेशा सूर्य की विपरीत दिशा में होती है। सूर्य के साथ तारे भी दर्शाया गएं है जबकि सूर्य निकलते ही उसकी रोशनी में तारे गायब हो जाते है।’’
युवक की बात सुनकर राजा खुश होते हुए बोले, ‘‘मुझे तुम्हारे जैसे ही योग्य व्यक्ति की तलाश थी। जिसमें सही बात कहने का साहस हो और जो बिना देखें व परखें कोई निर्णय न दें।
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पेंटिग मैं जानबूझ कर गलतियां की थी। तुम्हारे अलावा जो भी पेंटिग के पास गया वे पेंटिग को देखें बिना ही उसकी तारीफ करने लगे। जिन्हें किसी चीज़ की परख का ज्ञान नहीं होता हैं। वे केवल अपने फायदे के लिए झूठी तारीफ करते हैं । ऐसा लोग चापलूस हृआ करते हैं।
राजा ने लोगों की ओर मुखातिब होकर कहा, ‘‘आज से मैं इस व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी घोषित करता हूं। मेरे बाद यहीं इस राज्य का राजा होगा।’’
व्यक्ति के हाथ से हथकड़ी खोल कर उसे सम्मान के साथ राजा के बराबर सिंहासन पर बैठाया गया।
शिक्षा:- Baccho ki Kahani | Moral Stories in Hindi अवसर को जाने न दें
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- सफलता के लिए कभी भी झूठी तारीफ नहीं करनी चाहिए। सच कहने से कभी नहीं डरना चाहिए।
- अवसर आने पर व्यक्ति को शंकाओं में न घिरकर उसी समय ठोस व सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए।
- जीवन में मिलने वाले अवसरो को पहचाने, चुनौतियों को स्वीकार करें और उनका सही लाभ उठाएं।
- जो व्यक्ति अवसर गवां देते है, वह बाद में पछताते है। क्योंकि अवसर क्षणभर के लिए ही आती है। जो अवसर को गंवा देते है वे ताकते रह जाते है और जो अवसर को पहचान लेते हैं वे सफलता के ऊंचे महलों में जा बैठते है और वहीं राजा कहलाते हैं।
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