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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | भविष्य की चिंता | Dr. M.K. Mazumdar

‘भविष्य की चिंता’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।




भविष्य की चिंता


उदास शेर को देखकर शेरनी ने पूछा, ‘‘प्रिय ....... क्या बात है, कुछ दिनों से काफी परेशान दिख रहे हैं?’’

‘‘.... कोई बात नहीं .....।’’

‘‘...... कोई बात जरूर है ...पहले आपको कभी इस तरह नहीं देखा।’’

‘‘.....सुनना चाहती हो तो सुनो.....। कुछ दिन पहले हम कल्पा झील के पास गये थे। ........ तुम्हें याद होगा, ..... पिकनिक मनाने आये युवक - युवतियां वहां किस तरह अर्धनग्न घुम रहे थे ...।’’

‘‘हां ... अच्छी तरह याद है .... इसमें परेशान होने की क्या बात हैं?’’

‘‘जंगल का राजा होने के नाते मैं सोच रहा हूं    ....... इस खूंखार जानवर (आदमी) ने अपने आधे वस्त्र उतार दिये है। भविष्य में पूरे वस्त्र उतार कर जंगल की ओर चला आया तो क्या होगा? ....... मुझे डर है उनके जंगल में आने से यहां का कल्चर (संस्कृति) न खराब हो जायें।’’

शेरनी की आंखे भी भविष्य के खतरे के डर से घंसने लगी।........... More     (1980)





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