लघुकथाएं | Hindi Short Stories | ज़हर | Dr. M.K. Mazumdar |
लघुकथाएं | Hindi Short Stories | ज़हर | Dr. M.K. Mazumdar
‘ज़हर’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
ज़हर
‘‘पड़ोस में नया किरायेदार आया है ....।’’ वर्मा जी ने पत्नी को सूचना दी।
‘‘पता नहीं कैसे लोग हो ....?’’ पत्नी ने कहा।
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‘‘देखों, नया मौहल्ला है ..... बगल में वर्मा जी रहते है ......।’’ पति के बातों के बीच में ही पत्नी बोली, ‘‘पहले से न मिलू ...... पता नहीं कैसे लोग हो ..... यहीं कहना चाहते हो।’’
‘‘हां ....।’’ पति ने कहा।............. More (1989)
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