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moral stories in hindi | dadi ki kahani | गुडविल बनाएं रखें

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moral stories in hindi | dadi ki kahani | गुडविल बनाएं रखें



moral stories in hindi | dadi ki kahani | गुडविल बनाएं रखें

सतपुड़ावन के सभी जानवर काफी मेहनती थे। वे सभी लगन से अपना काम किया करते थे। इसी वन में भीकू सियार भी रहता था। वह एक नंबर का आलसी व स्वभाव से मक्कार था।

भीकू सियार कामधाम कुछ नहीं करता था। उसे जब भी भूख लगती उस वक्त किसी दुसरे के घर में घुसकर जो कुछ मिलता खा लेता था। उसकी इस आदत से वन के सभी जानवर काफी परेशान थे।



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एक दिन कुछ जानवरों ने आपस में विचार विर्मश किया कि भीकू जब भी हम में से किसी के घर पर खाना चुराने के लिये घुसे तो उसे पकड़ कर उसकी पिटायी की जाएं।

मार पड़ने पर उसकी आदत सुधर सकती हैं। उस दिन से सभी जानवर उसकी निगरानी करने लगे।

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एक दिन भीखू भेड़िया बिना आवाज किये दबे पैर चीकू खरगोश के घर में घुस गया है।


उसने इधर-उधर देखा। उस वक्त घर में कोई नहीं था। वह सीधे कमरे के अंदर जाकर फ्रीज में रखा खाना निकालकर जैसे ही खाने लगा। तभी बाहर खड़े जानवरों ने उस पर धावा बोल दिया।

इतने जानवरों को एक साथ देखकर भीखू भेड़िया समझ गया आज उसकी खैर नहीं हैं। आज अगर वह जानवरों के हाथ लग गया तो सभी मिलकर उसका कचूमर बना देगें।

वह जल्दी से खाना वहीं फेंक कर पिछली खिड़की से कुद कर वहां से भाग निकला। कुछ जानवरों ने उसका पीछा किया।

भीखू भेड़िया ने पीछे मुड़ कर देखा जानवर अभी भी उसका पीछा कर रहे हैं तो वह और तेज गति से भागने लगा।

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भागते-भागते भीकू भेड़िया का हाल बूरा हो गया था। उसकी सांस फुलने लगी। उसे लगने लगा अब वह दौड़ नहीं सकता हैं, लेकिन वह रूक भी नहीं सकता था। यदि रूका तो जानवर उसे पकड़ लेगें और वह बेमौत मारा जाएगा।

भागते हुए उसे एक खंडहर दिखाई दिया।

उसने सोचा, यदि मैं इस खंडहर में छुप जाऊं तो जानवरों की नज़रों से बच सकता हूं।

वह खंडहर में घुस गया और एक कोने मैं छुपकर बैठ गया। कुछ देर आराम करने से उसकी सांस में सांस आयी।


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उसने खंडहर के अंदर से बाहर नजर दौड़ायी। उसे बाहर कोई दिखाई नहीं दिया। वहां जानवरों को न पाकर वह बहुत खुश हुआ।

भीकूू भेड़िया अपने शरीर के एक-एक अंग को गौर से देखने लगा।

भीकू भेड़िए के पैर ने पूछा, ‘‘आज तुम इस तरह से हमें क्यों देख रहे हो?’’

‘‘मैं पता करना चाहता हूं कि आज मेरी जान बचाने में किस अंग ने कितनी सहायता की हैं।’’

‘‘सभी अंगों ने बराबर सहायता की है’’, पैर ने कहा।

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‘‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता..... सब की छोड़ों तुम बताओ मुझे यहां तक पहुंचाने में तुमने क्या किया?’’


‘‘तुम्हें पता होना चाहिए, पथरीले, कंकरीले, उबड़-खाबड़ रास्तों पर भागते हुए यहां तक तुम्हें पहुंचने वाले हम ही थे।’’ पैरों ने एक साथ कहा।

शाबाश! तुम सबने बहुत अच्छा काम किया है इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।’’

भीखू भेड़िया ने अगला सवाल कान से किया, ‘‘बताओ तुमने मेरी क्या मदद की?’’

‘‘सबसे पहले जानवरों की आवाजों को हमने ही सुना था और चौंकने हो गये थे। हमने ही तो तुम्हें वहां से भागने के लिए सचेत किया था।’’ कान ने कहा।

‘‘बहुत अच्छा! वाकई तुमने बहुत अच्छा काम किया। तुमको भी बहुत-बहुत धन्यवाद।’’

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फिर भीखू भेड़िया ने आंखों से सवाल किया। ‘मेरी प्यारी आंखे बोलो तुम ने मेरी किस तरह से मदद की।’’

‘‘जानवरों को देखकर वहां से भागने के लिए पिछली खिड़की से लेकर सारा रास्ता ..... और यहां जिस खंडहर में छुपकर बैठे हो वह भी हमने ही दिखाया है।’’

‘‘वेरी गुड, बहुत अच्छा काम किया है तुमने भी। इसके लिए तुम को भी वेरी-वेरी थैक्स।’’

इसके बाद भेड़िये की निगाह अपनी दुम पर गयी। उसे देख कर भेड़िये को बहुत गुस्सा आया।


उसने चीखते हुए दुम से पूछा, ‘‘मेरे पीछे भार की तरह लटकी रहने वाली दुम तेरी वज़ह से मुझे कितनी परेशानी होती है। भागते वक्त भी मुझे तुझे संभालना पड़ता है। पीछे लटके होने की वजह से मेरा लुक भी बिगड़ा-सा लगता है। तुम किसी काम की नहीं हो।’’

‘‘यह तुम कैसे कह सकते हो कि मैं किसी काम का नहीं हूं?’’ दुम ने कहा।

‘‘.... तो तुम ही बताओं की तुमने मुझे यहां तक पहुंचाने में क्या मदद की?’’

‘‘मैंने तुम्हारी सबसे खास मदद की हैं।’’ दुम ने कहा।

‘‘तुमने क्या कहां ....सबसे खास काम तुमने किया हैं।’’

‘‘हां, मैंने ही भागते समय तुम्हारा संतुलन बनाएं रखा था।’’ दुम ने अकड़ते हुए कहां।

‘‘दो कोड़ी की दुम तुने मेरा संतुलन बनाएं रखा था, बल्कि भागते समय मुझे तुझे भी संभालना पड़ रहा था। तेरी वजह से मुझे भागने में कितनी परेशानी हो रही थी। जा चली जा यहां से मुझे तेरी जरूरत नहीं हैं।’’ कहते हुए भेड़िए ने अपनी दुम बाहर निकाल दी।

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बाहर खड़े जानवरों ने भेड़िए की पूंछ को देखा तो वे समझ गए गए कि भेड़िया यही छुपकर बैठा हुआ हैं।

उन्होंने भेड़िए की पूंछ को पकड़ कर बाहर खींच लिया और जम कर उसकी पिटाई की।

शिक्षा:- moral stories in hindi | dadi ki kahani 


इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि

  • अपने परिवार को प्राथमिकता दें। क्योंकि सुखदुख के समय आपका परिवार ही आपके साथ होता हैं।
  • परिवार का सहयोग पाने के लिए सबसे पहले अपनो से प्यार कीजिए, उनका पीठ थपथपाएं, उन्हें गले से लगाएं और उनका सम्मान करें। उन्हें एहसास दिलाए कि वे आपकी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • आपके अपने ही आपका सामाजिक गुडविल बढ़ाएंगे और उनके सहयोग से आप पूरे आत्म विश्वास के साथ जिंदगी की चुनौतियों का सामना कर पाएगें।
  • अच्छा गुडविल पाने के लिए अच्छा बोले, ईमानदारी से अपना काम करें, दूसरों को सम्मान दें।
  • किसी भी व्यक्ति को गुडविल बढ़ाने और घटाने में अपने परिवार, दोस्तों व रिश्तेदारों का बेहद योगदान होता है। यदि आप अपने परिवार व दोस्तों को चाहते हैं, उनका सम्मान करते है तो वे हमेशा आपके लिए अच्छा सोचेंगे।
  • यदि आप अपने परिवार व दोस्तों को सम्मान नहीं देते हैं, उनके द्वारा किए गए सहयोग को महत्वहीन समझते हैं तो उनके दिल को ठेस पहुंचती हैं और उनके द्वारा कहीं एक लाइन भी सैकड़ों विरोधियों की तुलना में ज्यादा असरदार होती है।

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