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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | सपना | Dr. M.K. Mazumdar

‘सपना’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।




सपना


‘‘रात मैंने अजीब सपना देखा।’’ पत्नी ने पति से कहा।

‘‘क्या देखा .....?’’ पति सुनने को आतुर हो गया।

‘‘देखा, चार आदमी ..... मेरे कपड़े उतार कर मुझे नोंच रहे हैं ....।’’

‘‘तब तो तुमने बहुत संघर्ष व विरोध किया होगा?’’

‘‘नहीं .....।’’

‘‘न ..... हीं!’’

‘‘हां ..... जिस कमरे में वे थे, वहां जिंदगी के सारे सुख सुविधायें मौजूद थी ...... टेपरिकार्ड ..... विडियो ..... टी.वी. ..... फ्रीज ....... शराब की बोतल ...... छत पर फानूश ...... फशर््ा पर कालीन .....।’’

‘‘बस - बस चुप हो जाओ .....।’’ पति का चेहरा लाल हो गया। गुस्से में या शर्म में समझना मुश्किल था।............ More (1986)





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