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Jasusi Kahani || लालच || Moral Stories in Hindi
खगवन में रहने वाली मयूरी मोरनी को गहनों का बहुत शौक था. जब भी वह कहीं जाने के लिए निकलती, मंहगे गहने पहन कर निकलता थी.
एक दिन वह बनठन कर बाजार जा रही थी. रास्ते में उसे गबरू गिध्द मिला.
उसने मयूरी से पूछा, ‘‘मोरनी जी, मोरनी जी आप कहां जा रही है?
मोरनी ने गिध्द का ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली, ‘‘तुम से मतलब...’’
‘‘मैं तो इसलिए पूछ रहा था. सामने वाली गली में एक सेठ दान दे रहे हैं. आप भी जाकर ले आती.’’
‘‘क्या मैं तुझे गरीब भिखारी दिख रही हूं.’’ मयूरी ने आंखें तरेर कर कहा.
इतने में वहां कालू कौआ आ गया.
‘‘मोरनी जी नारज मत होइए. बात ऐसी है, एक सेठ जी सन्यास ले रहे है. इसलिए वे अपना सब कुछ दान कर रहे है. सबको एक हजार का नोट, बनारसी साड़ी, चांदी के पांच बर्तन और सोने के सिक्के दे रहे हंै. मुफ्त में मिल रहा है तो जाकर लेने में क्या जाता है.’’
कौआ और गिद्ध द्वारा बारबार कहने पर मयूरी सोचने लगी. ‘दोनों सही कह रहे हैं. जब मुफ्त में हजारों का माल मिल रहा है, तो लेने में हर्ज क्या है.’
‘‘ठीक है तुम दोनों कह रहे हैं तो मैं जाती हूॅ.’’ इतना कह कर मयूरी गली की ओर जाने लगी तो दोनों ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘मोरनी जी ऐसे मत जाइए. आपने इतने सारे गहने पहन रखें हैं. यह देख कर सेठ आपको दान नहीं देगा. आप इन्हें उतार कर हमारे पास दे दें. जब तक आप नहीं लौटती हम आपका यहीं इंतजार करते हैं.’’
दान में मिलने वाले सोनाचांदी और बनारसी साड़ी के लालच में आकर मोरनी ने सारे गहने उतार कर उनके पास रख दिए.
‘‘मोरनीजी आप बिलकुल चिंता न करें. आप जब लौटेंगी, आपका सामान आपको मिल जाएगा.’’
मोरनी गली में अंदर गई, पर वहां कोई सेठ दान नहीं दे रहा था. काफी दूर तक जाने पर भी कहीं कुछ पता नहीं चला.
मोरनी गगली से निकल कर सड़क पर आ गई, लेकिन क्या वहां पर तो कौआ और गिध्द नहीं थे. दोनों को न पा कर मोरनी जोरजोर से चिल्लाने लगी.
‘‘मैं तो लुट गई बर्बाद हो गई. कौआ और गिध्द दोनों ने मुझे ठग लिया. मैं कहीं की न रही. मेरे लाखों के गहने लुट लिये’’
मोरनी अपना सीना पिटपिट कर रो रही थी. उसके रोने की आवाज सुनकर कुछ जानवर जमा हो गए. मोरनी का रोरो कर बूरा हाल था.
किसी ने सौ नंबर पर डायल करके पुलिस को इसकी सूचना दे दी. थोड़ी ही देर में इंस्पेक्टर सरस सारस दल के साथ वहां पहुंच गए.
उन्होंने मोरनी की पूरी बात सुनने के बाद कहां, ‘‘मुफ्त के माल के चक्कर में तूमने अपने मंहगें गहने खो दिये. अब रोने से काम नहीं चलेगा. ठग का पता लगाने में कुछ समय लगेगा.’’
पुलिस ने मोरनी की शिकायत पर गिध्द और कौआ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.
खगवन में इस तरह के कई मामले हो चुके थे. मुफ्त का माल पाने के चक्कर में पक्षी अपने पास के मंहगें गहने गंवा रहे थे.
एक दिन इंस्पेक्टर सरस सारस ने अपराधियों को पकड़ने के लिए उन्हीं का फार्मूला अपनाया.
उन्होंने सब इंस्पेक्टर कबूतरी को सादे ड्रेस में ढ़ेर सारे गहने पहना कर बाजार की ओर भेंजा.
शिकार की तलाश में गबरू गिध्द और कालू कौआ एक जगह छुपकर बैठे हुए थे. उनकी निगाह जैसे ही सोने से लदी कबूतरी पर पड़ी. कबूतरी को ठगने के लिए दोनों बाहर निकल कर आ गए.
कबूतरी के पास पहुंच कर कौआ ने कहा, ‘‘कबूतरी जी, कबूतरी जी कहां जा रही है आप?
‘‘मैं अपने काम से जा रही हूं, क्यों?
‘‘हम कह रहे थे पास वाली गली में एक सेठ दान दे रहे थे. दान में बनारसी साड़ी, चांदी के बर्तन, सोने के सिक्के और एक हजार रूपए दे रहे हैं. आपकी इच्छा हो तो आप जाकर ले सकती है.’’
‘‘क्या कहां. चांदी के बर्तन, सोने के सिक्के, बनारसी साड़ी और हजार रूपए वह भी मुफ्त में मिल रहे हैं कहां मिल रहे हैं जल्दी से मुझे बताओ.’’
‘‘वह सामने गली में.’’ गिध्द ने कहा.
‘‘ठीक है मैं जाती हूं.’’
जैसे ही कबूतरी उस ओर जाने लगी. कालू कौआ ने रोकते हुए कहा, ‘‘कबूतरी जी, ऐसे जाने पर आपको दान नहीं मिलेगा. अपने सारे गहने उतार कर हमें देदें. वहां से दान लेकर लौटने के बाद अपने गहने ले लेना.’’ कालू कौआ ने कहां.
कबूतरी मान गई. अपने गहने उतार कर देने लगी. इतने में इंस्पेक्टर सरस सारस पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए.
पुलिस को देखकर दोनों भागने लगे, पर वे भाग नहीं सके. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने दोनों को बताया वे जिसे ठगने की कोशिश कर रहे थे. वह सब इंस्पेक्टर कबूतारी है.
गबरू गिध्द और कालू कौआ के गिरफ्तार करने के बाद खगवन में ठगने की घटना बंद हो गई.
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