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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | समय-समय की बात | Dr. M.K. Mazumdar


‘समय-समय की बात’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।




समय-समय की बात


चिथड़ों में लिपटी अपने को ढ़कने का असफल प्रयास करती। कोई र्फक नहीं .... अर्ध नग्न शरीर को देख कोई पास आकर आहें भरता.... कोई सीटी बजाता ...... कोई भूखी नज़रों के तीर गड़ा देता।

मौसम के असरदार चोंट ने उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया ..... अब न कोई उसे देखकर सीटी बजाता है .... न आहें भरता हैं .... न कोई भूखी नज़रों के तीर गाड़ता है। ....... उसकी ओर देखे बिना आंखें मूंद कर चले जाते हंै।......... More (1982)





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