moral stories in hindi | nani ki kahani जरूरतमंद की मदद करें
महाराजा अजीत सिंह दयालु, न्यायप्रिय, पराक्रमी और साहसी राजा थे। महाराजा स्वयं अपने राज्य का दौरा करते और लोगों के हालचाल का पता लगाते थे। उनके राज्य में सभी सुखी और खुशहाल थे।
एक दिन महाराजा अजीत सिंह अपने साथियों के साथ राज्य का भम्रण करने निकले। घुमते-घुमते वे एक गांव के पास पहुंचे। गांव के आस-पास हरा-भरा खेत देखकर राजा का मन खुश हो गया।
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उन्होंने अपने मंत्री से कहां, ‘‘हरे-भरे खेतों को देखकर मालूम होता है यहां गांव के लोग काफी मेहनती और संपन्न हैं।
‘‘हां महाराज, आप सही कह रहे हैं। इस गांव के लोग काफी मेहनती और संपन्न है। ’’ मंत्री ने कहां।
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महाराजा अपने साथियों के साथ गांव के पास से गुजरने लगे। तभी एक पत्थर आकर उनके सिर पर लगा।
पत्थर लगने से महाराजा अजीत सिंह दर्द से तड़प उठे। उनके माथे से खून बहने लगा। उन्होंने क्रोधित होकर सिपाहियों को आदेश दिया, ‘‘कौन है? जिसने हमें पत्थर मारने की गुस्ताखी की। जाओ उसे पकड़ कर हमारे सामने पेश करो।’’
महाराजा का आदेश मिलते ही सिपाही इधर-उधर दौड़ पड़े। कुछ ही देर में उन्होंने एक बुढ़िया को लाकर राजा के सामने पेश किया।
राजा को देखकर बुढ़िया भय से कांपने लगी। उसने हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘महाराज, मुझे माफ कर दीजिए। मैंने कोई जानबुझ कर आपको पत्थर नहीं मारा। मैं तो.....’’ कहते हुए वह चुप हो गयी।
उसे चुप देखकर महाराजा अजीत सिंह बोले, ‘‘हां-हां आगे कहों, हम जानना चाहते है कि आखिर तुमने पत्थर किस पर मारा था? ......तुम्हें अपने सफाई में जो कुछ कहना हैं निर्भय होकर कहों।’’
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‘‘महाराज, मेरा बेटा दो दिन से भूखा हैं। घर पर खाने को कुछ नहीं हैं। पेड़ पर लगे पके बैर को तोड़ने के लिए मैंने पत्थर मारा था। लेकिन पत्थर बैर पर न लगकर आप को लग गया है..... मुझे क्षमा कर दें।’’
बुढ़िया की बात सुनकर महाराजा अजीत सिंह अपने चोट के दर्द को भूल गए। उन्हें यह जानकर बहुत दुख हुआ कि उनके राज्य में ऐसे परिवार भी है, जिन्होंने दो दिन से कुछ नहीं खाया है।
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उन्होंने तुरन्त अपने साथियों से कहा, ‘‘इस बुढ़िया को एक हजार मोहरें और खाने का सामान देकर घर भेंज दिया जाएं और इस बात का ध्यान रखा जाएं भविष्य में इन्हें कभी भूखा न सोना पड़़े।’’
महाराजा की बात सुनकर उनके साथियों ने कहा, ‘‘महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं? इसने आपको पत्थर मारा है, फिर भी आप ने इसे क्षमा कर दिया। इसे तो कठोर दण्ड मिलना चाहिए।’’
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साथियों को शांत करते हुए महाराजा अजीत सिंह बोले, ‘‘बुढ़िया ने अपने बच्चे का पेट भरने के लिए पत्थर बैर के पेड़ पर मारा था। यदि पत्थर बैर के पेड़ पर लगता तो निश्चित ही कुछ पके हुए बैर नीचे गिरते और इससे उसके बच्चे का पेट भरता।
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....... जब यह पत्थर मुझे लगा है तो मेरा भी यह फर्ज बनता है कि मैं भी इनका पेट भरू। इसलिए मैंने इसे दण्ड देने की बजाय भोजन दिया है।’’
महाराज की बात सुनकर सभी उन्हें प्रशंसा से देखने लगे।
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शिक्षा:- moral stories in hindi | nani ki kahani जरूरतमंद की मदद करें
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि अपनी हैसियत के अनुसार सदैव जरूरतमंदों की मदद करें।
- एक वृक्ष चोट खाने के पश्चात भी मनुष्यों को पेट भरने के लिए अपना फल देता है। जब एक पेड़ इंसानों की मदद करता है तो फिर इंसान, इंसान की मदद क्यों नहीं कर सकता हैं।
- सम्पन्न व्यक्तियों या अधिकारियों को अपने अधिनस्त कर्मचारियों द्वारा की गई सेवा के बदलें में उनकी जरूरतों को पूरा करते रहना चाहिए। उनके द्वारा की गई मदद कर्मचारी को अपने मालिक के प्रति वफादार और मेहनती बनाती है।
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