Moral Stories in Hindi : दो सिर वाला हंस |
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Baccho ki Kahani | Moral Stories in Hindi : दो सिर वाला हंस
एक तालाब के किनारे दो सिर वाला हंस रहता था। उनका शरीर तो एक था, लेकिन दोनों सिर की आदतें एक दूसरे से अलग-अलग थी।
पहला सिर बुद्धिमान और अच्छे स्वभाव का था, और दूसरा सिर घमंड़ी व गुस्से स्वभाव का था।
दूसरा सिर उसकी बातों को अनसुना कर देता।
एक दिन तालाब से एक मछली पानी के बाहर आ गई। जिसे देखकर बूरा सिर उसे खाने के लिए लपका। अच्छे सिर ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘उस मछली को खाना नहीं, वह गले में फंस जाएगी।’’
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बुरे सिर ने उसकी बात नहीं सुनी और मछली को निगल गया। मछली कुछ बड़ी और कांटे वाली थी। वह गले में फंस गई। बुरे सिर वाले के कारण अच्छे सिर वाले की भी मौत हो गई। इसीलिए कहा जाता है कि बुरे के साथ कभी नहीं रहना चाहिए।
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एक दिन तालाब से एक मछली पानी के बाहर आ गई। जिसे देखकर बूरा सिर उसे खाने के लिए लपका। अच्छे सिर ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘उस मछली को खाना नहीं, वह गले में फंस जाएगी।’’
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बुरे सिर ने उसकी बात नहीं सुनी और मछली को निगल गया। मछली कुछ बड़ी और कांटे वाली थी। वह गले में फंस गई। बुरे सिर वाले के कारण अच्छे सिर वाले की भी मौत हो गई। इसीलिए कहा जाता है कि बुरे के साथ कभी नहीं रहना चाहिए।
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