Laghu Katha | खुला निमंत्रण | Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथाएं |
Laghu Katha | खुला निमंत्रण | Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथाएं
‘खुला निमंत्रण’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
खुला निमंत्रण
गिद्ध की तरह दोनों आखें गढ़ाये बैठे थे। काफी देर हो गयी कोई दिखायी न दिया।
एकाएक एक चीख पड़ा, ‘‘अबे आ रही है ....।’’
‘‘स्साले, साड़ी में हैं ...... फुल बाहों का ब्लाउज पहन रखी हैं।’’ दुसरे ने जवाब दिया।
‘‘तो क्या हुआ .....?’’
‘‘अबे ..... उसे छोड़ ..... वह देख विज्ञापन ......?’’
‘‘कैसा विज्ञापन.........?’’
‘‘खुला निमंत्रण ..... समझे।’’
इतने में अर्धनग्न बाहों वाली, नग्न पेट-पीठ, बाॅब कट बाल, छोटी स्कर्ट पहने एक तरूणी समीप आयी ..... दोनों चील की तरह उस पर झपटें और सुनसान गली में लें जाकर गिद्ध की तरह नोंचने लगे।.......... More (1981)