Laghu Katha | lash ka intezam | Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथाएं |
Laghu Katha | Hindi Short Stories | लाश का इन्तजाम | Dr. M.K. Mazumdar | लघुकथाएं
‘लाश का इन्तजाम’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
लाश का इन्तजाम
सुबह - सुबह पुलिस इंस्पेक्टर के साथ चार कांस्टेबल गांव पहुंचे। तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।
इंस्पेक्टर तीनों की ओर देखते हुए गुर्राये, ‘‘तुम लोगों ने एक व्यक्ति का खून किया है। इसलिए तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है।’’
सुनते ही उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। तीनों एक साथ गिड़गिड़ायें, ‘‘साब .... हमने किसी का कत्ल नहीं किया....। हम पर झूठा इल्जाम लगाया गया है....।’’
इतना सुनना था कि पुलिस इंस्पेक्टर गुस्से से तमतमा कर बोला, ‘‘स्साले लाश को गांव के कुंए में छुपाकर पुलिस की आंखों में धुल झोंकना चाहते हो।’’
अंत में कुएं के अंदर लाश की खोज की गयी, मगर लाश मिली नहीं।
पुलिस ने उन तीनों को छोड़ दिया।
अब इंस्पेक्टर ने दो अन्य व्यक्तियों को पकड़ा। वे उनसे कह रहे थे, ‘‘स्साले, एक लाश का इंतजाम नहीं कर सकते थे तो बेकार में बुलाया क्यों? ..... पुलिस का नाम बदनाम कराने के लिए।’’
पुलिस उन दोनों को पीटते और घसीटते हुए ले जा रही थी।......... More (1981)
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