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पीढ़ी का डर
चकोर अपने पंख फड़फड़ाता हुआ, चांद को छूने कि कोशिश मंे ऊपर बढ़ रहा था।
उल्लू ने उसे टोका, ‘‘ये मूर्ख तू कभी भी चांद को छू नहीं सकता।’’
‘‘मुझे मालूम हैं बुद्धिहीन प्राणी ....।’’ चकोर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता हुआ बोला।
‘‘फिर तू ..... क्यों कोशिश कर रहा, मासूम जीव।’’
‘‘प्यारे जन्तु ..... तुम्हें मालूम होना चाहिए, मेरी पिछली ..... पिछली से और पिछली पीढ़ी ने भी लगातार संघर्ष व कोशिश की, किन्तु वह चांद को छू न सकी ......। पीढ़ी के इस लक्ष्य (लक्षण) को मैं भी और आगे (आने वाली पीढ़ी भी) बरकरार रखना रखना चाहूगा ...। जिससे हमारी पीढ़ी बदनाम न होने पाये।’’
चकोर और तेजी से ऊपर की ओर बढ़ने लगा। उल्लू उसको दूर जाते हुए देख रहा था।...... more
(1992)
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