लघुकथाएं | Hindi Short Stories | वक्त-वक्त की बात | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha |
लघुकथाएं | Hindi Short Stories | वक्त-वक्त की बात | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha
‘वक्त-वक्त की बात’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।वक्त-वक्त की बात
जब मैंने सुना मित्र की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय हैं तो मदद करने के मकसद से उसके घर पहुंचा।
मित्र ने रूखे मन से उसका स्वागत किया। अंदर जाकर चाय बनाने को कहां।
पत्नी ने स्टोव जलाकर चाय का पानी रख दिया।
पत्नी बोली, ‘‘कितने खुश नसीब है आप ..... बूरे वक्त में भी आपका दोस्त आपसे मिलने आया है।’’
‘‘अरे, क्या कह रही हो तुम ...... मुझे तो दाल में काला नजर आ रहा है ..... वर्ना ऐसे वक्त पर कौन किसके पास जाता हैं।’’
बाहर बैठा मुझे लगने लगा, स्टोव पर चाय की जगह उसे चढ़ा दिया गया हो।......... More (1983)
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