लघुकथाएं | Hindi Short Stories | खुशी के लिए | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha |
लघुकथाएं | Hindi Short Stories | खुशी के लिए | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha
‘खुशी के लिए’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।खुशी के लिए
बुढ़ी मां ने सिर उठाया, ‘‘कहां गया था तू ......?’’
‘‘कहीं नहीं, मां .....।’’ बारह-तेरह वर्ष का बालक बोला।
‘‘कहीं दंगाईयों की भीड़ में आ जाता तो .....।’’
‘‘अरे मां, .... मोहल्ले के भी तो काफी लड़के थे लूटपाट में .....।’’
‘‘चुप बदमाश .......।’’
‘‘मां, मैं तो जीजी की खुशी के लिए गया था.... कोने वाली टी.वी. की दुकान लूटी जा रही थी ...... मैं भी वहा पहंुच गया ...... सोचा, एक कलर टी.वी. भेंज दूं, जिससे जीजी ससुराल में खुशी से रह सकें ..... मगर स्साला पुलिस वाला, पकड़कर मुझे अपने घर ले गया और टी.वी. अपने घर रख ली।’’
मां अपने नन्हें बालक को गौर से देख रही थी। उसे लगने लगा इतनी छोटी उम्र में जैसे वह जवान हो गया हो।........... More (1983)
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