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स्कूल के प्रींसिपल अरविंद सिंह काफी परेशान थे. उनकी परेशानी की वजह थी, एंग्जाम के पहले ही प्रश्नपत्र लिक हो जाते थे. अरविंद सिंह बहुत बुद्धिमान और न्याय प्रिय थे. उन्होंने अपनी ओर से इसका पता लगाने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
अरविंद सिंह के स्कूल में प्रश्नपत्र के लिक होने की खबर बाहर किसी को नहीं थी, और न वे किसी को इस बारे में कुछ बताना चाहते थे. क्योंकि इससे स्कूल की बदनामी का डर था. चोर उनकी इसी कमजोरी का भरपूर लाभ उठा रहा था.
काफी सोचने के बाद अरविंद सिंह को अपने मित्र मनोज की याद आयी. मनोज, अरविंद सिंह के अच्छे मित्र थे और सरकारी जासूस भी.
उन्होंने मनोज से मिलकर अपनी समस्या बताते हुए कहां, ‘‘मैं बहुत बड़ी परेशानी में फंस गया हूं और तुमसे मदद मांगने आया हूं.’’
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अरविंद सिंह के चेहरे पर चिंता की रेखाएं देखकर मनोज समझ गया कि उसका दोस्त किसी बढ़ी मुसीबत में है. उसने कहां, ‘‘बताओ मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं.’’
कुछ सोचते हुए अरविंद सिंह ने कहा, ‘‘इस घटना की जानकारी अभी तक मेनेजमेंट को नहीं दी हैं, इसीलिए मैं चाहता हूं कि तुम भी इस बात को गोपनीय रखों.
मेरे स्कूल से पिछले कई सालों से स्कूल में प्रश्न पत्र लिक हो रहे हैं. पहले तो दरवाले का लाॅक खोलकर अंदर घुसते थे. मैंने दरबाजे पर पहरा लगा दिया. इसके बावजूद प्रश्नपत्र लिक हो गये. इस बार मैंने दरबाजे पर लाॅक को सील कर दिया, ताकि कोई इसे तोड़ने की हिम्मत नहीं करेगा.
एंग्जाम के दिन दरवाजे पर सील को सही सलामत देखा तो मैंने समझा की इस बार पेपर लिक नहीं हुए है, लेकिन मेरा सोचना गलत था. क्योंकि जब मैंने आॅफीस के अंदर जाकर प्रश्नपत्र चेक किए तो पता चला कि इस बार भी पेपर लिक हो चुके हैं. क्योंकि मैंने पेपर के बंडल जिस नंबर से रखें थे वे वैसे नहीं रखें हुए थे. इसका मतलब उन बंडलों के साथ छेड़छाड़ किया गया है और पेपर लिक हुए है.’’
‘‘तुम ने इस बारे में पहले क्यों नहीं बताया? खैर, छोड़ो, जो हुआ. अब हमें क्या करना है इस पर बात करते हैं,’’ मनोज ने कहां.
अरविंद सिंह और मनोज स्कूल पहुंचे. मनोज आॅफीस के अंदर बारिकी से निरीक्षण करने लगे. मनोज को कमरे की दीवार पर एक जगह कुछ मिट्टी लगी हुई दिखाई दी. लेंस से देखने पर यह निशान नए लग रहे थे. आसपास का बारीकी से निरीक्षण करने पर उन्हें पूरी बात समझ में आ गयी.
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वे कमरे के बाहर जाकर दीवार पर पर लगे हुए एसी को गौर से देखने लगे. उनका शक सही निकला. चोर एसी के रास्ते से ही अंदर गया था, क्योंकि एसी मंे केवल तीन ही स्क्रू लगे हुए थे. चैथा स्क्रू अपनी जगह पर नहीं था. मनोज लैंस की सहायता से स्क्रू के स्थान को गौर से देखने लगे. वह स्थान साफ-सुथरा था. इसका मतलब यहां पर स्क्रू लगा हुआ था, जो अब नहीं है. यदि यह स्थान पहले से खाली होता तो वहां धुल मिट्टी जम गयी होती, लेकिन ऐसा नहीं था.
मनोज ने सोचा, इसका मतलब जल्दबाजी में स्क्रू यहीं कहीं गिरा है. वह बढ़े सावधानीपूर्वक आस-पास स्क्रू ढुढ़ने लगे. वहीं नीचे कुछ दूरी पर उन्हंे स्क्रू मिल गया. उन्होंने मन ही मन सोचा, स्क्रू तो मिल गया है. अब चोर का पता लगाना बाकी है. लेकिन कमरे के अंदर व बाहर कहीं भी फिंगर प्रिंटस नहीं हैं, जिसके आधार पर चोर पकड़ा जा सकें.
कमरे में वापस आकर मनोज ने अरविंद सिंह को अपनी योजना समझाते हुए कहा, ‘‘....घबराओ नहीं, जल्दी ही चोर का पता चल जाएगा. मैं जैसा कह रहा हूं तुम वैसा ही करो. कल का प्रश्नपत्र बदल दो.’’
एंग्जाम के दिन अरविंद सिंह और मनोज आॅफीस रूम में बैठ कर टीवी स्कीन पर एंग्जाम हाॅल का नजारा देखने लगे. मनोज ने गौर किया कि कुछ बच्चे आराम से उत्तर पुस्तिका में अपने उत्तर लिख रहे हैं, लेकिन कुछ बच्चे काफी बेचैन व परेशान नजर आ रहे हैं. वे लिखने की बजाय इधर-उधर ताकझांक कर रहे हैं या बढ़बढ़ा रहे थे. कोई तो गुस्से की वजह से अपने हाथ पर हाथ मार रहा था.
मनोज ने उन सभी बच्चों को आॅफीस में बुलाया और एक-एक करके उनसे पूछताछ करने लगे. सभी बच्चें एक ही जवाब दे रहे थे कि उन्होंने जो पढ़ा है वह नहीं आया है इसीलिए परेशान है.
लेकिन राहुल काफी दुखी और परेशान नजर आ रहा था.
मनोज ने राहुल को दुसरे कमरे में ले जाकर पूछताछ की तो वह रोते हुए बोला, ‘‘सर, मेरे सभी दोस्त राॅकी से प्रश्न-पत्र खरीदते हैं. उससे खरीदे गये पेपर हुबहु एंग्जाम पेपर जैसा ही होता हैं. इसीलिए मैंने भी इस बार सांइस का पेपर उससे ले लिया, लेकिन उसमें से कुछ भी नहीं आया है. पेपर के चक्कर में मैंने पढ़ाई भी नहीं की. अब क्या होगा?’’
अरविंद सिंह ने बताया कि राॅकी, आवारा बदमाश टाईप का लड़का हैं. उसने कुछ साल पहले अपनी पढ़ाई छोड़ दी हैं, लेकिन स्कूल में अपनी दादागिरी नहीं छोड़ी हैं. सभी बच्चे उससे डरते हैं. उसका सारा समय स्कूल के आसपास ही बितता हैं.
इधर दूसरे बच्चे गलत पेपर आने पर राॅकी से लड़ पड़े. राॅकी ने कहां, ‘‘मैंने, तुम लोगों को सही पेपर दिया था. हो सकता हैं प्रिंसीपल ने पेपर बदल दिया हो. मैं तुम लोगों को कल का पेपर लाकर देता हूं.’’
रात के समय राॅकी, आॅफीस रूम में घुसा. उसके हाथ में टार्च जल रहा था. उसने जैसे ही अलमारी खोलकर पेपर का बंडल बाहर निकाला, तभी कमरे की लाइट आॅन हो गयी.
कमरे में रोशनी होते ही राॅकी घबरा गया. उसने कमरे में अरविंद सिंह को देखा. वह एसी के रास्ते बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन तभी वहां से मनोज ने आॅफीस के अंदर प्रवेश किया.
राॅकी प्रश्नपत्र चोरी करते हुए रंगे हाथो पकड़ा गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
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