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jasusi kahani : nakli note | Baccho ki Kahani | aparna majumdar

jasusi kahani : nakli note | Baccho ki Kahani | aparna majumdar | नकली नोट | motivational story in hindi


सतपुड़ावन में जैकी और मैकी नाम के दो सियार रहते थे. दोनों कोई काम नहीं करते थे. दोनों स्वभाव से धूर्त और बदमाश थे. भोलेभाले जानवरों को बेवकूफ बनाकर उन्हें ठगते थे.

पांच सौ का असली नोट दिखाते थे और पूछते थे. असली है या नकली. जो भी उस नोट को देखकर असली कहता वे कहते खा गए न गच्चा. यह नोट असली नहीं नकली है. यदि तुम इस तरह के नोट चाहते हो तो एक हजार रूपए देने पर दो हजार के नोट मिलेंगे. भोले भाले जानवर उनके चक्कर में आ जाते. जैकी और मैकी उनसे रूपए लेते और बदले में नोट की गड्डी में ऊपर और नीचे एकएक असली नोट लगा कर उन्हें देकर फरार हो जाते. 



एक दिन की बात है डंकी गधा अपनी दुकान पर बैठा था. डंकी गधे को अकेले देखकर जैकी और मैकी ने उसे ठगने की सोची.


दोनों डंकी गधे के पास पहुंचे.

जैकी ने पांच सौ का नोट दिखाते हुए डंकी से पूछा, ‘‘बताओं यह नोट असली है या नकली?’’

डंकी ने नोट को अपने हाथ में लेकर उल्ट-पलट कर देखते हुए कहां, ‘‘यह नोट असली हैं.’’

‘‘खा गए न गच्चा’’, मैकी ने हंसते हुए कहा.

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’, डंकी ने हैरानी से पूछा.

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जैकी ने इधर-उधर देखते हुए कहा, ‘‘मेरा कहने का मतलब यह है कि जो नोट तुम देख रहे हो वह नकली है.’’

‘‘क्या कह रहे हो, मेरी समझ में कुछ नहीं आया.’’ डंकी ने कहा.



‘‘हम कह रहे थे कि यह जो नोट है नकली है, लेकिन दिखती बिलकुल असली है. इसे देख कर कोई भी यह नहीं कह सकता, यह नकली है’’ जैकी ने कहा.

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‘‘तो.....?’’ डंकी ने कहा. 

‘‘हमारे पास ऐसे और नोट है. अगर तुम इन नोटों को लेना चाहते हो तो तुम्हें 50 के सौ देगे.’’ मैकी ने कहां.

‘‘मतलब 50 हजार रूपये के बदले एक लाख.’’, जैकी ने समझाते हुए कहां.

मैकी बोला, ‘‘देखों ऐसा मौका बार-बार नहीं आता. अगर तुम्हंे नहीं लेना है तो कोई बात नहीं, हम किसी और के पास जाते हैं.’’

डंकी को लालच आ गया. सोचने लगा नोट बिलकुल भी पहचान में नहीं आ रहे. उसे बैठे बैठाए 50 हजार का फायदा हो सकता है. उसे नोट ले लेना चाहिए.

दोनों जाने लगे तो डंकी ने उन्हें रोकते हुए कहां, ‘‘ठीक है मैं नोट लेने के लिए तैयार हूं. लेकिन मेरे पास अभी पचास हजार रूपये नहीं हैं. कल इसी वक्त आना मैं रूपऐ का इंतजाम करके रखूंगा.’’

मैकी और जैकी इसके लिए तैयार हो गये. अगले दिन चार बजे आने का वादा करके दोनों वहां से चले गये.

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उनके जाने के बाद डंकी रूपयों के इंतजाम में लग गया. डंकी के पास 30 हजार रूपए थे. उसे 20 हजार का इंतजाम करना था. उसने अपने दो-तीन दोस्तों से कुछ रूपये मांगे तो उन्होंने कोई न कोई बहाना बना दिया.

आखिर में उसने अपने दोस्त वाइटी खरगोश को फोन किया. ‘‘वाइटी, मैं डंकी बोल रहा हूं. मुझे कल सुबह तक बीस हजार रूपये चाहिए.’’

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‘‘बीस हजार रूपये....’’ वाइटी ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘तुम्हें इतने सारे रूपये की जरूरत क्यों पड़ गई.’’

‘‘इमरजेंसी है, बस तुम जल्दी से बीस हजार रूपये मुझे कल सुबह दे दो. शाम को लौटा दूंगा.’’ डंकी ने कहां.

‘‘तुम्हें रूपये मिल जाएंगे, लेकिन मुझे यह तो बताओ कि इतने रूपये की जरूरत क्यों पड़ गयी.’’ वाइटी ने पूछा.

डंकी ने वाइटी को बताया कि मैकी और जैकी फिफ्टी परसेंट में नकली नोट दे रहे हैं. नोट दिखने में एकदम असली जैसे हैं.



वाइटी ने डंकी को समझाते हुए कहां, ‘‘अरे पागल उन्होने जो नोट दिखाया था, वह नोट असली ही था. दोनों बच्चों के खेलने वाले नोट से गड्डी बनाते है. उस गड्डी के ऊपर और नीचे एकएक असली नोट रख देते हैं. इस तरह से वन के कई जानवरों को ठग चुके हैं. मेरी बात मान तू उन देनों की शिकायत पुलिस से कर दें.’’

डंकी, वाइटी की कोई भी बात मानने के लिए तैयार नहीं था. उसके आंखों के सामने तो पांचपांच सौ के नोट नाच रहे थे.


डंकी ने कहा, ‘‘तू 20 हजार दे रहा है तो ठीक है नहीं तो मैं कहीं और से इंतजाम करता हूॅ.’’

वाइटी ने हर तरह से डंकी को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह मानने के लिए तैयार नहीं हुआ. वाइटी समझ गया डंकी उसकी बात नहीं मानने वाला.

वाइटी ने डंकी को 20 हजार रूपए दे दिए. और वहां से सीधे पुलिस स्टेशन गया. वहां इंस्पेक्टर बाघ बहादुर से मिला. उसने सारी बात बतायी.

अगले दिन जैकी और मैकी डंकी के पास आये. मैकी ने कहा, ‘‘हम तुम्हारा माल लेकर आए हैं. जल्दी से हमें रूपए दो और यह ले लो.’’


डंकी ने पचास हजार रूपये निकाल कर जैकी को दे दिए.

मैकी ने पैकेट में रखें एक लाख रूपये डंकी को दिए और वहां से दोनों नौ दो ग्यारह हो गए.

मैकी और जैकी के जाते ही डंकी ने पैकेट को खोल कर देखा तो परेशान हो गया. पैकेट में रूपए की बजाएं गडिड्यों के ऊपर नीचे एक-एक असली नोट रखें हुए थे और अंदर बच्चों के खेलने वाले नोट रखे हुए थे.

यह देखकर डंकी अपना माथा पीटते हुए रो पड़़ा.



इतने मेें वाइटी खरगोश, पुलिस इंस्पेक्टर बाघ बहादुर के साथ वहां पहुंचा. उसने देखा, इंस्पेक्टर बाघ बहादुर ने मैकी और जैकी को पकड़ रखा था.

वाइटी खरगोश ने डंकी से कहां, ‘‘अब रोनाधोना बंद करो और जल्दी से इंस्पेक्टर को नोट दिखाओं.’’

डंकी ने मैकी और जैकी द्वारा दिया गया नोटो का बंडल इंस्पेक्टर को दिखाया. पैकेट में गड्डी के ऊपर और नीचे एकएक असली नोट रखे हुए थे और अंदर बच्चों के खेलने वाले नोट थे.

इंस्पेक्टर बाघ बहादुर ने कहा, ‘‘दोनों सतपुड़ावन के बड़े ठग है. इस तरह से वे वन के अनेक जानवरों को ठग चुके हैं. इनके खिलाफ अनेक शिकायत मिल चुकी है. दोनों काफी समय से पकड़ में नहीं आ रहे थे. आज वाइटी की वजह से पकड़े गए.’’

इंस्पेक्टर ने 50 हजार रूपये डंकी को लौटाते हुए कहा, ‘‘वाइटी की बदौलत तुम्हारी मेहनत की कमायी लुटने से बच गई.’’

डंकी ने हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘मैंने लालच में आकर ऐसा किया था. मैं कान पकड़ता हूं, भविष्य में कभी लालच नहीं करूंगा. किसी ने ऐसा लालच दिया तो मैं सीधे पुलिस से उसकी शिकायत करूंगा.’’


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