Prerak Kahaniya : motivational story in hindi | सियार और हिरण - Prerak kahani | Hindi Stories

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Prerak Kahaniya : motivational story in hindi | सियार और हिरण

Prerak Kahaniya : motivational story in hindi | सियार और हिरण

सतपुड़ावन में कौआ और हिरण में गहरी दोस्ती थी। दोनों वन में एक आम के पेड़ के पास रहते थे। कौआ पेड़ पर और हिरण पेड़ के नीचे रहता था। एक दिन एक सियार घुमता-घुमता वहां आ गया। हिरण को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। उसने हिरण को खाने का निश्चिय किया।

वह हिरण के पास जाकर बोला, ‘‘दोस्त, मैं इस वन में नया-नया आया हूं। मेरा कोई मित्र नहीं हैं। क्या तुम मेरे मित्र बनोगे।’’

हिरण बोला, ‘‘लेकिन तुम तो मांसाहारी हो?’’
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सियार बोला, ‘‘एक दिन मुझे एक साधु मिले। उनके उपदेश सुनकर मैं इतना प्रभावित हुआ कि मैंने उन्हें अपना गुरू मान लिया। तब से मैंने मांस खाना छोड़ दिया है।’’

हिरण सियार की बातों में आ गया और उससे अपने साथं रहने की अनुमति दे दी।


कौआ को जब पता चला तो उसने हिरण को समझाते हुए कहा, ‘‘सियार स्वभाव से धुर्त और मक्कार होता हैं। तुमने उसे यहां रखकर बहुत बड़ी गलती की है।’’

हिरण बोला, ‘‘वह अब सुधर गया हैं। वैसे भी किसी को अच्छा बनने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए।’’


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हिरण की बात सुनकर कौआ चुप हो गया।

एक दिन सियार बोला, ‘‘दोस्त, जंगल के उस तरफ एक खेत में बहुत ही कोमल और स्वादिष्ठ घास लगी है।



 यदि तुम चाहो तो वहां जाकर पेट भर कर घास खा सकते हो।’’

कोमल घास के लालच में आकर हिरण, सियार के साथ चला गया। वहां हरी और कोमल घास देखकर हिरण बहुत खुश हुआ। उस दिन उसने भरपेट घास खाया।

अब वह प्रतिदिन घास खाने वहीं जाने लगा।
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इधर खेत में हिरण द्वारा रोज-रोज चरने से किसान परेशान हो गया। उसने हिरण को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया।

हिरण अनजाने में उस जाल में फंस गया। उसने सियार से कहा, ‘‘मुझे जल्दी से इस जाल से मुक्त करो।’’

सियार बोला, ‘‘मैं, इतना मोटा जाल कैसे काटू।’’

सियार वहां से चला गया और पास ही मैं छुप कर हिरण के मरने का इंतजार करने लगा।



इधर शाम होने पर जब हिरण घर नहीं लौटा तो कौआ उसे ढुढ़ने निकला। ढुढ़ते-ढुढ़ते वह खेत के पास पहुंच गया। वहां हिरण को जाल में फंसा देखकर सारी बात समझ गया। 


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कौआ को देखकर हिरण ने कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो, तुम्हारे समझाने के बावजुद मैंने उस धुर्त व मक्कार पर विश्वास किया।’’ 

कौआ ने हिरण को अपनी योजना समझाते हुए कहा, ‘‘मैंनें जैसा कहा हैं तुम वैसा ही करना।’’



सुबह जैसे ही किसान आया। हिरण निर्जीव सा पड़ा रहा। उसे मरा हुआ जानकर किसान ने जाल खोल दिया। जैसे ही जाल खुला कौआ ने इशारा किया। हिरण उठकर वहां से भाग खड़ा हुआ। घर पहुंचकर हिरण ने अपने कान पकड़ते हुए कहा, ‘‘आज के बाद मैं कभी भी बिना जांचे परखें किसी से दोस्ती नहीं करूंगा।’’


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