Prerak Kahani : motivational stories for students | अपना समय व्यर्थ न गवाएं |
Prerak Kahani : motivational stories for students | अपना समय व्यर्थ न गवाएं | Apeksha Mazumdar
परीक्षा का समय जितना नजदीक आ रहा था। रमेश की परेशानी उतनी ही बढ़ती जा रही थी। वह पिछले साल फेल हो गया था। उसके पिता ने उसे यह आखरी मौका दिया था।
रमेश को परेशान देखकर उसका दोस्त सोहन बोला, ‘‘क्या बात है, तुम काफी परेशान लग रहे हो?’’
‘‘हां, परीक्षा का समय नजदीक आ गया है और मेरी तैयारी अभी भी पूरी नहीं हुई है।’’ रमेश ने कहा।
‘‘इसमें इतना परेशान होने वाली कौन सी बात है। यदि तुम समय का सही सदुपयोग करोगें तो समय रहते तुम्हारी पढ़ाई भी पूरी हो जाएगी।’’ सोहन ने उसे समझाते हुए कहा।
सोहन के समझाने के बावजूद रमेश की घबराहट कम नहीं हुई। स्कूल से घर लौटते समय उसे एक साधु महात्मा दिखाई दिये। वह महात्मा के पास गया।
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रमेश को परेशान देखकर महात्मा ने कहा, ‘‘बच्चा तू बहुत परेशान है. हमे बता, हम चुटकी में तेरी समस्या हल कर देगें।’’
साधु की बात सुनकर रमेश को आशा के दीप नजर आए। साधु को प्रणाम करते हुए उसने कहा, ‘‘महाराज, इस साल मैं परीक्षा में पास होना चाहता हूं।’’
‘‘तेरी मनोकामना अवश्य पूरी होगी, लेकिन इसके लिए तुझे कुछ दान दक्षिणा देना होगा।’’ साधु ने रमेश को अपने वाकजाल में फंसाते हुए कहा।
रमेश ने अपने मनीबैग से दस रूपये निकाल कर देते हुए बोला, ‘‘महाराज, मेरे पास इतने ही है।’’
‘‘इतने से क्या होगा। यह ताबीज बहुत कीमती है। यदि तुझे पास होना है तो ढेर सारे रूपये देने होगें।’’ साधु ने कहा।
‘‘ढेर सारे, ..... लेकिन इतने सारे रूपये मैं कहां से लाऊगां?’’
‘‘अपने घर से ....।’’
‘‘घर से ...।’’
‘‘हां .... तुम्हारे घर में जेवर, नगदी जो कुछ है ले आओ और यह चमत्कारी ताबीज ले जाओ। इसके प्रभाव से तुम परीक्षा में पास हो जाओगे।’’ साधु ने कहा।
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रमेश यह मौका अपने हाथ से नहीं खोना चाहता था।
वह तुरन्त घर आया। उसने अलमारी से जेवर व नगदी निकाल कर एक बैग में भरकर चला गया।
मां रसोई में व्यस्त थी। जब उन्होंने रमेश को वापस जाते हुए देखा तो आवाज देकर रोकना चाहा, लेकिन वह नहीं रूका।
मां ने कमरे में देखा अलमारी खुली पड़ी है और उसमें रखा नगदी व जेवर भी गायब है तो उन्हें रमेश पर शक हुआ। उन्होंने तुरंत पुलिस को इस बात की सूचना दे दी।
रमेश के हाथ में बैग देखकर साधु प्रसन्न होते हुए बोला, ‘‘ले आए पैसा?’’
‘‘हां, महाराज, घर में जितना था ले आया हंू।’’
साधु ने नगदी व जेवर ले लिए और रमेश को एक ताबीज देकर वहां से जाने लगा।
तभी अचानक सोहन वहां आकर बोला, ‘‘रमेश, यह तुने क्या किया। इस ताबीज के लिए तुने उसे इतने सारे रूपये व गहने दें दिए।’’ फिर वह साधु की तरफ मुड़कर बोला, ‘‘इसके सारे जेवर व रूपये इसे वापस कर दो।’’
‘‘कौन से रूपये व जेवर?’’
‘‘जो इसने अभी-अभी तुम्हें दिए हैं।’’ सोहन ने तेज आवाज में कहा।
‘‘तू कौन होता है, रूपये वापस मांगने वाला। मैंने पैसों व जेवर के बदल में इसे पास होने वाला चमत्कारी ताबीज दिया हैं।’’
‘‘किसी ओर को बेवकूफ बनाना। तुम्हारे जैसे अनपढ़ लोग हमें क्या पास होने की ताबीज देगें। तुम ने रमेश को ठगा है। इसके रूपए सीधी तरह से वापस कर दो, नहीं तो...।’’
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‘‘नहीं लौटाता जा, तुझे जो करना है कर लें।’’ कहते हुए वह सोहन को ठकेल कर वहां से भागने लगा। इतनी देर में पुलिस भी वहां आ गयी।
सोहन ने कहा, ‘‘इस्पेक्टर अंकल, यही वह व्यक्ति है जो भोले-भाले बच्चों को अपने वाकजाल में फंसाकर उनसे उन्हीं के घरों में चोरी करवाता है।’’
सोहन ने रमेश के हाथ से ताबीज लेकर उसे खोलकर देखा, उसमें मिट्टी भरा हुआ था।
उसने रमेश को ताबीज दिखाते हुए कहा, ‘‘देख इसके अंदर मिट्टी के सिवा कुछ नहीं हैं। तुम इस ताबीज की वजह से पास नहीं फेल हो जाते. पास होने के लिए मेहनत करना पड़ता हैं।’’
सोहन की बात सुनकर रमेश बोला, ‘‘तुम ने समय रहते मेरी आंख खोल दी। आज के बाद में कभी भी इन साधुओं के चक्कर में नहीं आऊंगा। आज से मैं मन लगाकर पढ़ाई करूगा।’’
‘‘जब आंख खुले तभी सवेरा समझो।’’ कहते हुए उसने रमेश को गले लगा लिया।
रमेश परीक्षा की तैयारी में दिन-रात मेहनत करने लगा। समय का सदुप्रयोग करके वह इस बार परीक्षा अच्छे अंको से पास हो गया।
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शिक्षा:-
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि
- जीवन में सफलता पाने के लिए व्यक्ति को किसी ताबीज या पूजा-पाठ की नहीं मेहनत की जरूरत होती है। समय से की गई तैयारी और मेहनत हमेशा सफलता की बुलंदियों को छूती है।
- कभी भी अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। क्योंकि बीता समय कभी लौटकर नहीं आता है। इसीलिए जो काम करना है उसे आज करें, अभी करें।
- गलतियां सभी से होती है। इंसान को चाहिए कि उन गलतियों से सबक ले और भविष्य में दोबारा ऐसी गलतियां न दोहराएं।
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