ऊंचे मुकाम पाना हैं तो अपनी सोच को ऊंचा रखें | Prerak Kahani | Motivational Story In Hindi |
ऊंचे मुकाम पाना हैं तो अपनी सोच को ऊंचा रखें | Prerak Kahani | Motivational Story In Hindi
गोपी की मां बहुत बीमार थी, इसलिए गोपी का मन स्कूल में नहीं लग रहा था। उसे बार-बार अपनी मां की याद आ रही थी।
वह जल्दी से जल्दी घर पहुंचना चाहता था। जैसे ही स्कूल की छुट्टी हुई वह घर की तरफ दौड़ पड़ा।
घर पहुंच कर उसने देखा, भगत उसकी मां का झाड़ फूंक करने में लगा हुआ है।
भगत मन ही मन कुछ बुदबुदा रहा था और बीच-बीच में सूखी मिर्च और न जाने क्या-क्या हाथ में लेकर हवन कुंड में डाल रहा था।
वह जोर से चिल्ला कर कहता, ‘‘भाग जा.....यहां से भाग जा..... इसने तेरा क्या बिगाड़ा है.... तु क्यों इसे तंग कर रही हैं..... जा चली जा।’’
मां, भगत के सामने बैठी थी। कुंड से उठता धुंआ सीधे मां के मुंह में जा रहा था। मिर्च का धुंआ होने की वजह से मां का खांसते-खांसते बूरा हाल हो गया था।
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ऊंचे मुकाम पाना हैं तो अपनी सोच को ऊंचा रखें | Prerak Kahani | Motivational Story In Hindi
गोपी कुछ समझ पाता इसके पहले ही उसकी मां बेहोश होकर गिर पड़ी।
मां के गिरते ही भगत बोला, ‘‘चुडैल चली गयी। .... बड़ी जिद्दी थी.... छोड़ना ही नहीं चाहती थी, लेकिन मैं भी कम जिद्दी नहीं हूं.... उसे भगाकर ही दम लिया।’’
भगत की बात सुनकर गोपी चिढ़ गया। वह भुत प्रेत को नहीं मानता था।
वह बोला, ‘‘चुप रहो, यह सब झूठ है। मेरी मां को किसी चुडैल ने नहीं पकड़ा था। वह बीमार है। मेरी मां को डाक्टर ही ठीक कर सकता है तुम जैसे ढोगी नहीं.... समझें।’’
गोपी की बात सुन कर पास बैठी उसकी दादी डांटते हुए बोली, ‘‘चुपकर! तु क्या जाने इन सब बातों को, स्कूल क्या जाने लगा हमें ही नसीहत देने लगा है। जैसे हमें पता ही नहीं बीमारी क्या हैं?’’
दादी के विरोध करने के बावजूद गोपी दौड़ता हुआ डाक्टर के पास पहुंचा और उन्हें सारी बात बताते हुए बोला, ‘‘डाक्टर अंकल......... डाक्टर अंकल, जल्दी चलिए नहीं तो मेरी मां मर जायेगी।’’
डाक्टर गोपी के साथ उसके घर पर पहुंचा।
कमरे में अभी भी काफी धुंआ भरा हुआ था। गोपी की मां अभी भी बेहोश फर्श पर पड़ी हुई थी। भगत वहां से जा चुका था।
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ऊंचे मुकाम पाना हैं तो अपनी सोच को ऊंचा रखें | Prerak Prasang | Motivational Story In Hindi
डाक्टर ने गोपी से कहा, ‘‘इस कमरे की सभी खिड़कियां खोल दो, ताकि ताजी हवा कमरे में आ सके।’’
डाक्टर के कहने पर गोपी ने सभी खिड़कियां खोल दी। डाक्टर ने उसकी मां का निरीक्षण किया और कुछ दवाईयां दे दी।
‘‘मेरी मां ठीक हो जायेगी न डाक्टर अंकल।’’ गोपी ने पूछा।
‘‘हां, तुम्हारी मां अच्छी हो जायेगी। यदि उन्हें समय पर दवाईयां नहीं मिलती तो कुछ भी हो सकता था।’’ डाक्टर ने गोपी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
डाक्टर ने गोपी की दादी को समझाते हुए कहा, ‘‘कोई भी बीमारी झाड़-फूंक करने से ठीक नहीं होती हैं। यदि गोपी समझदारी से काम न लेता तो आज उसकी मां बिना इलाज के मर गयी होती।’’
डाक्टर की बात सुनकर दादी घबरा गयी। उन्होंने वादा किया कि आज के बाद वह ऐसी गलती नहीं करेंगी।
दादी की बात सुनकर गोपी उनके गले से लग गया।
गोपी की समझदारी और डाक्टर के इलाज से उसकी मां जल्दी अच्छी हो गयी।
शिक्षा:- ऊंचे मुकाम पाना हैं तो अपनी सोच को ऊंचा रखें | Prerak Kahaniya | Motivational Story In Hindi
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- ऊंचे मुकाम प्राप्त करना चाहते हैं, तो आरम्भ से ही अपने इरादों को बुलन्द और आत्मविश्वास को दृढ़ रखना चाहिए।
- व्यक्ति की प्रवत्ति जुझारू होनी चाहिए। जो परिस्थितियों से जूझना जानते हैं, वही विजेता बनते हैं। गोपी यदि अपनी दादी का विरोध करके डाॅक्टर को नहीं लाता तो उसकी मां बिना इलाज के मर सकती थी।
- दब्बू किस्म के व्यक्ति विपरित परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते है। ऐसे व्यक्ति कभी भी कठिन परिस्थितियों से उबर नहीं पाते हैं।
- ऊंचे विचार हो, मन में दृढ़ संकल्पशक्ति और आत्मविश्वास है, परिस्थितियों से लड़ने का साहस हैं तो कोई भी महान बन सकता हैं।
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