Moral Stories in Hindi | Baccho ki Kahani | खाली पेट उपदेश - Prerak kahani | Hindi Stories

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Moral Stories in Hindi | Baccho ki Kahani | खाली पेट उपदेश

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Moral Stories in Hindi | Baccho ki Kahani | खाली पेट उपदेश  | Apeksha Mazumdar

प्रेरक कहानी, खाली पेट उपदेश कहानी में बताया गया है कि यदि इंसान भूखा है तो उसे कोई भी उपदेश अच्छी नहीं लगेगी और ना ही वह उसे ग्रहण कर पाएगा, क्योंकि पेट की आग के आगे इंसान को किसी चीज की सुध नहीं रहती हैं।


एक किसान था। वह बहुत दरिद्र था, लेकिन वह कर्मठ और मेहनती भी खूब था।

एक दिन गांव में गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ आएं हुए थे। उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे थे। किसान भी बुद्ध के दर्शन के लिए गया।


गौतम बुद्ध लोगों को उपदेश दे रहे थे। किसान भी वहा बैठकर बुद्ध के उपदेश सुनना चाहता था लेकिन उसका मन वहां नहीं लग रहा था, क्योंकि उसका एक बैल घूम गया था।



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किसान गौतम बुद्ध के उपदेशो को भी सुनना चाहता और बैल को ढुढ़ना भी जरूरी था, क्योंकि वहीं उसकी आजीविका का साधन था। आखिर में उसने पहले अपने बैल को ढुढ़ना ही उचित समझा और वहां से चला गया।

बैल को ढुढ़ते-ढुढते शाम हो गई। तब जाकर उसे बैल मिला। दिनभर का भूखाप्यास वह गौतम बुद्ध के पास पहुंचा।


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किसान को देखकर गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य से कहा, ‘‘पहले इसे भरपेट खाने को दो, उसके बाद में उपदेश सुनाऊगा।’’


बुद्ध की बात सुनकर उसके शिष्य को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्हें यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी कि एक मामूली से किसान के कारण गौतम बुद्ध के प्रवचन में बाधा पड़े।

गौतम बुद्ध ने उनकी मशा जान ली। उन्होंने अपने शिष्यों को पास बुलाकर कहा, ‘‘यदि मैं भूखे को उपदेश देता तो वह उसे ग्रहण नहीं कर पाएगा, क्योंकि पेट की आग के आगे इंसान को किसी चीज़ की सुध नहीं रहती हैं।’’



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गौतम बुद्ध की बात सुनकर सभी शिष्य शांत हो गए। उन्होंने किसान को भरपेट भोजन करवाया। पेट भर जाने के बाद किसान के चेहरे पर संतोष झलक रहा था। उसने वहां बैठकर गौतम बुद्ध के उपदेशों को सुना और उसे अपने जीवन में ग्रहण किया।


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