लघुकथा : राजनीति Laghu Katha || Dr. M.K. Mazumdar
‘राजनीति’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
राजनीति
हमारे कस्बे मे दो प्रतिष्ठी व्यक्ति है। दोनों के साथ कस्बे की भीड़ चलती है।
एक है लालाराम ..... हर व्यक्ति उन्हें जानता है। वह एक नामी गुण्डा है .......।
दूसरे है श्याम जी ..... बहुत ही नेक ...... ईमानदार व्यक्ति।
लालाराम के साथ शरीफ व्यक्तियों की भीड़ जाती हैं। शरीफों का कहना है पुलिस तथा अन्य कोई गुण्डा उन्हें सता न सकें।
श्याम जी के साथ बंदूकधारी व छंटे हुये गुण्डों की भीड़ चलती है। उनका कहना है एक ईमानदार प्रतिष्ठित, प्रभावशाली व्यक्ति के आड़ में हमारी असलियत छुपी है।
कस्बे के लोग खुश रहे या नाखुश उन दोनों को इससे कोई लेना-देना नहीं हैं....... More (1988)
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