लघुकथा : कुत्ते Laghu Katha || Dr. M.K. Mazumdar
‘कुत्ते’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
कुत्ते (Kutte)
लोकसभा में प्रस्ताव रखा गया। देश में कुत्ते बहुत हो गये हैं आधे से ज्यादा भोजन कुत्ते खत्म कर जाते हैं। उन्हें गोली से उड़ा दिया जायें। प्रस्ताव का बहुत जोर-शोर से स्वागत किया गया।
दूसरे दिन लोकसभा के बाहर लम्बी भीड़ खड़ी थी। सभी के चेहरे पर परेशानी की लकीर स्पष्ट दिखायी दे रही थी।
कई लोग अपने-अपने सांसद के पैर पकड़ कर कह रहे थे।
कोई कह रहा था, ‘‘खाकी वर्दी में हमें कुत्ता कहा जाता हैं।’’
कोई कह रहा था, ‘‘हम आपके वफादार समर्थक हैं। समाज में हमें आपके कुत्तों के नाम से जाना जाता है।’’
मसौदे की गंभीरता को देखते हुए प्रस्ताव तुरन्त रद्द कर दिया गया।........... More (1980)
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