बुद्धिमान चंदू | Motivational Stories for Employees | Prerak Kahani | Apeksha Mazumdra |
बुद्धिमान चंदू | Motivational Stories for Employees | Prerak Kahani | Apeksha Mazumdra
बुद्धिमान चंदू | Motivational Stories for Employees | Prerak Kahani | Apeksha Mazumdra, Baccho ki Kahani, Prerak Kahani, motivational stories for employees, Prerak Kahani, new motivational story,एक व्यापारी था। वह स्वभाव से बहुत दुष्ट व मक्कार था। वह अपने यहां काम करने वाले मजदूरों को काम के बदले में उचित दाम नहीं देता था।
एक दिन भोला नाम का एक मजदूर काम की तलाश में व्यापारी के पास आया और व्यापारी से काम मांगा। भोला स्वभाव से बहुत सीधा-सादा और ईमानदार था।
व्यापारी बोला, ‘‘मैं तुम्हें काम के बदलें तभी मजदूरी दूंगा, जब तुम मेरे सवाल का सही-सही जवाब दे दोंगे।’’
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भोला बोला, ‘‘मुझे मंजूर हैं।’’
भोला उसी दिन से व्यापारी के घर पर काम करने लगा। धीरे-धीरे कई माह बीत गए। उसे अपने घर व परिवार की याद सताने लगी।
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एक दिन भोला ने व्यापारी से अपने काम के बदले मजदूरी मांगी तो व्यापारी ने उसे अपनी शर्त याद दिलाते हुए उसके सामने एक छोटा मटका और एक बड़ा मटका रखते हुए बोला, ‘‘इस बड़े मटके को छोटे मटके के अंदर डाल दो।’’
यह देखकर भोला परेशान हो गया। उसने कहा, ‘‘भला छोटे मटके के अंदर बड़ा मटका कैसे आ सकता हैं। मुझसे यह नहीं हो सकता।’’
व्यापारी ने कहा, ‘‘तुम्हें मजदूरी नहीं मिलेगी।’’
भोला उदास होकर अपने घर चला गया।
घर पहुंचने पर उसके छोटे भाई चंदू ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो भोला ने पूरी बात बता दी।
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चंदू बुद्धिमान था। वह समझ गया कि वह व्यापारी स्वभाव से मक्कार व धुर्त हैं। उसने व्यापारी को सबक सिखाने का निश्चय किया।
चंदू ने भी व्यापारी के पास जाकर काम मांगा। व्यापारी ने अपने आदत के अनुसार उसे भी शर्त वाली बात बता दी।
चंदू बोला, ‘‘यदि मैंनें कर दिया तो.....।’’
व्यापारी बोला, ‘‘तुम्हें मुंह मांगी मजदूरी मिलेगी।’’
चंदू ने कुछ दिन काम किए और एक दिन व्यापारी से अपनी मजदूरी मांगी।
व्यापारी ने उसके सामने भी एक छोटा और एक बड़ा मटका लाकर रख दिया।
व्यापारी बोला, ‘‘इस छोटे मटके के अंदर बड़े मटके को नहीं रख पाएं तो मजदूरी नहीं मिलेगी।’’
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चंदू ने बड़े मटके को तोड़ा और छोटे मटके के अंदर रख दिया। यह देखकर व्यापारी नाराज हो गया। उसने कहा, ‘‘मैंने मटके को इसके अंदर रखने के लिए कहा था।’’
‘‘लेकिन आपने यह नहीं कहा था कि इसे साबूत ही इसके अंदर रखना हैं।’’ चंदू ने भी चिल्लाते हुए कहा।
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उनकी आवाज सुनकर लोगों की भीड़ जमा हो गई। चंदू ने व्यापारी वाली बात बताई तो सभी चंदू का संमर्थन करने लगे। बात बिगड़ते देख व्यापारी ने चंदू को मुंह मांगी मजदूरी दे दी।
चंदू ने अपनी बुद्धि के बल पर अपनी और अपने भाई की मजदूरी व्यापारी से वसूल कर ली।
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