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Prerak Kahani | Baccho ki Kahani | समाधान | Apeksha Mazumdar

प्रेरक कहानी, Prerak Kahani | Baccho ki Kahani | समाधान कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की गई है कि यदि शांत मन से किसी भी समस्या के बारे में सोच विचार किया जाएं तो बडी से बड़ी समस्या का भी हल मिल जाता है। इंसान को समस्या आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसका समाधान ढुंढना चाहिए।

दीनदयाल नाम का एक किसान था। वह खेतीबाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था। उसकी दो बेटियां थी। उसने अपनी दोनों बेटियों की शादी पास के एक गांव में कर दी। 

दीनदयाल ने छोटी बेटी की शादी कुम्हार से की और बड़ी बेटी की शादी एक किसान से।


कई दिनों बाद दीनदयाल को अपनी बेटियों की याद सताने लगी तो वह उनसे मिलने गया।


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दीनदयाल पहले अपनी छोटी बेटी से मिलने उसके घर पर गया। पिता को देखकर छोटी बेटी बहुत खुश हुई। उसने अपने पिता का खूब आदर सत्कार किया। 

दीनदयाल ने जब अपनी बेटी से उसका हालचाल पूछा तो वह बोली, ‘‘पिताजी इस बार हमने खूब मेहनत की है और बहुत सामान बनाया हैं। बस यदि वर्षा नहीं आए तो हमारा कारोबार खूब चलेगा।’’ 


उसने अपने पिता से आग्रह किया कि वह भगवान से प्रार्थना करें की बारिश न हो। क्योंकि बारिश की वजह से मिटटी का सामान खराब हो जाने का डर था।

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छोटी बेटी से मिलने के बाद दीनदयाल अपनी बड़ी बेटी से मिलने गया। बड़ी बेटी ने भी अपने पिता का खूब आदर सत्कार किया। पिता के पूछने पर वह बोली, ‘‘हमने खेतों में खूब मेहनत की हैं। इस बार बारिश अच्छी होगी तो फसल भी बहुत अच्छी होगी।’’

उसने भी अपने पिता से कहा कि वे भगवान से प्रार्थना करें की खूब बारिश हो।


प्रेरक कहानी, Prerak Kahani | Baccho ki Kahani | समाधान कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की गई है कि यदि शांत मन से किसी भी समस्या के बारे में सोच विचार किया जाएं तो बडी से बड़ी समस्या का भी हल मिल जाता है। इंसान को समस्या आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसका समाधान ढुंढना चाहिए।

बड़ी बेटी की बात सुनकर दीनदयाल परेशान हो गया। छोटी बेटी ने कहा कि बारिश न हो और बड़ी बेटी कह रही है कि बारिश हो। वह दुविधा में पड़ गया कि किसके लिए भगवान से प्रार्थना करें। एक के लिए प्रार्थना करें तो दूसरी का नुकसान होगा और वे अपनी दोनों बेटी का नुकसान नहीं चाहते थे।




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काफी सोच विचार के बाद दीनदयाल अपनी दोनों बेटियों से मिले और उन्हें अपनी दुविधा बताई। उन्होंने छोटी बेटी से कहा, यदि वर्षा न हुई तो तुम्हें जो लाभ होगा उसका आधा हिस्सा अपनी बड़ी बहन को देना होगा।

छोटी बेटी मान गई। इसके बाद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी से कहा, यदि वर्षा अच्छी हुई तो जो लाभ होगा उसका आधा हिस्सा तुम्हें अपनी छोटी बहन को देना। 

इस प्रकार दीनदयाल ने अपनी दोनों बेटियों का नुकसान होने से बचा लिया।

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