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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | शांति | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha
‘शांति’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
शांति
डबल बेड, फ्रीज, टी.वी., विडियो, थ्री एक्स रम, बियर, सोडा वाटर, ........ फर्श पर कालीन, कार, टेलीफोन ..... शहर के बाहर शानदार कोठी .... नौकर चाकर लगे है ..... शांति हैं ...... शांति है ..... शांति हैं.......।
मैं तुम्हंे रोज क्लब जाने के लिए कहता हूं ..... तुम रोज कोई न कोई बहाना बना लेती हो।’’ पति गुर्राया।
‘‘वहां की भीड़-भाड़, हो-हल्ला मुझे अच्छा नहीं लगता।’’ पत्नी बोली।
‘‘तुम मुझे शांति से जीने न दोगी।’’
कुछ दिनों बाद
शहर के बीच क्लब ...... वैभव और एश्वर्य की दुनिया ..... ताश, नोट, बेटर ..... अधेंड़, बूढ़े, जवान ..... शराब, जाम, गिलास .... पीना, चुमना, झपटना .... रोज-रोज का सिलसिला .....।
‘‘बहुत रात गये तुम लौटती हो, जब में लौटता हूं ..... कोई न कोई बहाने सेइरूक जाती हो।’’ पति का शांत लहजा था।
‘‘यहां का सूनापन मुझे काटने दौड़ता है।’’ पत्नी का तेज स्वर।
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