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Laghu Katha | Hindi Short Stories | बोझ | Dr. M.K. Mazumdar | लघुकथाएं

‘बोझ’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।




बोझ

सोलह साल की प्रिया का विवाह अपने से तीगुने उम्र के बूढ़े से कर दिया गया। 

प्रिया को विदा करते हुए उसके पिता ने कहां, ‘‘अब, तू विदा होकर जा रही है ....... पति का घर ही अब तेरा सब कुछ है। आज मेरे सिर से एक बड़ा बोझ उतर गया....।’’

सुहाग सेज पर प्रिया अपने पति का इंतजार करती रही। देर रात को वह लड़खड़ाता हुआ आया और पलंग पर लुढ़क गया।

प्रिया सोचने लगी, उसके पिता के सिर से बोझ तो उतर गया, मगर उसके सिर पर एक भारी बोझ रख दिया गया, जिंदगी भर ढ़ोने के लिए ........। ............. More  (1995)





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