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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | बलि | Dr. M.K. Mazumdar


‘बलि’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।




बलि


रघुवा गांव का शरीफ, ईमानदार व कर्मठ युवक था। उसकी दो बेटियां ...... जो .... दो तलवार की तरह गर्दन पर लटक रही थी।
कल उसकी बड़ी बेटी के साथ किसी ने बलात्कार किया। वह भागता हुआ थाने पहुंचा। पूरा विवरण उसने कह सुनाया।
पूरी बात ध्यान से सुनने के बाद दो स्टार ने कहां, ‘‘ठीक है, अपराधी को तो हम पकड़ लेगें ..... लेकिन एक शर्त पर।’’
‘‘क्या हुजूर ....।’’ रघुवा उनके पैर पर गिर पड़ा।
‘‘अपनी छोटी बेटी को रात भर के लिए मेरे पास भेंज दो।’’ यह वाक्य सुन रघुवा जड़वत हो गया।....... more (1984)

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