Moral Stories in Hindi : Svaarthee logon se savdhan | स्वार्थी लोगों से सावधान |
Moral Stories in Hindi : स्वार्थी लोगों से सावधान | Prerak Kahani | Apeksha Mazumdar
Moral Stories in Hindi Svaarthee logon se savdhan स्वार्थी लोगों से सावधान कहानी में बताया गया है कि हमेशा धोखेबाज और मक्कार लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए और कभी उनकी बातों पर विश्वास भी नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए, जो दूसरों को धोखा देते है और आपसे वफादारी के वादे करते हैं। Moral Stories in Hindi स्वार्थी लोगों से सावधान कहानी के माध्यम से इसी बात का समझाने की कोशिश की गई.
Moral Stories in Hindi : Svaarthee logon se savdhan | स्वार्थी लोगों से सावधान
नदी के किनारे एक जामुन का पेड़ था।
उस पेड़ पर एक बंदर रहता था। बंदर उस पेड़ के पके-पके जामुन खाता, नदी का पानी पीता, दिनभर नदी के किनारे गुलाटी मारता फिरता और पेड़ पर इस डाल से उस डाल पर लटकता उछलकूद करता रहता था।
एक दिन की बात है।
पानी पीने के बाद नदी किनारे गुलाटी मार रहा था। उसी समय एक मगरमच्छ वहां पर आया।
उसे देखकर बंदर डर गया।
वह वहां से भागने को हुआ तो मगरमच्छ ने उसे रोकते हुए कहां, ‘‘डरो नहीं मैं तुमसे दोस्ती करने के लिए आया हूं।’’
‘‘ना बाबा ना, मेरे दादाजी कहा करते थे सबसे दोस्ती करना, लेकिन मगरमच्छ से दोस्ती कभी नहीं करना। मगरमच्छ बड़े धोखेबाज होते हैं।’’
‘‘ठीक कह रहे हो, मेरे दादाजी की गलती की सजा आज हम भुगत रहे हैं। उनकी गलती की वजह से आज हमसे कोई दोस्ती करना नहीं चाहता।’’ मगरमच्छ ने आंसू बहाते हुए कहा।
मगरमच्छ के आंखों में आंसू देखकर बंदर भी दुखी हो गया। वह भी दिनभर पेड़ पर अकेले रहते-रहते उब जाता था। उसे भी एक दोस्त की जरूरत थी।
उसने कहां, ‘‘मत रोओ मुझसे किसी का रोना नहीं देखा जाता। ठीक है आज से तुम मेरे दोस्त।’’
उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गयी। रोज सुबह मगरमच्छ जामुन के पेड़ के पास आ जाता। दोनों नदी किनारे बैठ कर बातें करते। बंदर उसे पके-पके जामुन खिलाता। धीरे-धीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गयी।
एक दिन मगरमच्छ ने बातों ही बातों में बताया कि वह इस इलाके का राजा है। सभी मगरमच्छ उसे कोकोराज कहते हैं।
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बंदर ने भी मगरमच्छ को बताया वह बंदरों के दल में रहता था, लेकिन एक दिन वह अपने दल से बिछुड़ गया है। तब से वह यहां अकेले ही रहता है। पहले वह भी अपने दल के साथ बहुत मजे से रहता था।अपने मित्र की बात सुनकर कोकोराज को बहुत दुख हुआ। उसने बंदर से कहां, ‘‘दोस्त तुम घबराना नहीं, मैं एक न एक दिन तुम्हारे दल को खोज निकालुंगा।’’
एक दिन दोनों की दोस्ती की खबर मगरमच्छ की पत्नी को लग गयी। उसने मगरमच्छ से कहां, ‘‘सुना है, तुम्हारी दोस्ती एक बंदर से हो गयी है।’’
मगरमच्छ ने कहां, ‘‘हां।’’
उसकी पत्नी बोली, ‘‘अरे वाह! तुम अपने दोस्त को घर पर लेकर आओ, हम उसका कलेजा निकाल कर खाएंगे।’’
‘‘नहीं ..... नहीं मैं अपने दोस्त के साथ धोखा नहीं करूंगा। बड़ी मुश्किल से वह दोस्त बनने के लिये तैयार हुआ है।’’
‘‘अपनी पत्नी की खुशी के लिये तुम्हें उसे यहां लाना ही पड़ेगा .... जब तक मैं बंदर का कलेजा नहीं खा लूंगी तब तक मेरा गुस्सा शान्त नहीं होगा।’’
मगरमच्छ ने अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश की पर वह किसी भी तरह मानने के लिये तैयार नहीं हुई। वह अपने जिद पर अड़ी रही कि उसे बंदर का कलेजा चाहिए। इसके आगे वह कुछ नहीं सुनना चाहती थी।
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आखिर में पत्नी के गुस्से को शान्त करने के लिये बंदर को अपने घर पर लाने के बारे में उपाय सोचने लगा। उसे याद आया कि बंदर अपने झुंड से बिछड़ने की बात कह रहा था।
एक दिन मगरमच्छ ने बंदर को झूठ बोला, ‘‘दोस्त मैंने नदी के उस पार बंदरों का एक झुंड देखा। मुझे लगता है तुम उसी झुंड के होंगे।’’
मगरमच्छ की बात सुनकर बंदर बोला, ‘‘वहां मेरे कितने साथी है।’’
‘‘वहां बहुत सारे बंदर हैं, लेकिन मैं उन्हें गिन नहीं पाया, क्योंकि मुझे देखकर सारे बंदर वहां से भाग गए। तुम जाकर क्यों नहीं देख लेते हो।’’
‘‘मैं उस पार कैसे जा सकता हूं।’’
‘‘तुम्हारा यह दोस्त किस दिन काम आएगा। तुम मेरी पर बैठ जाओ मैं तुम्हें उस पार पहुंचा दूंगा।’’ मगरमच्छ ने कहा।
‘‘नहीं नहीं मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगा।’’ बंदर ने इंकार करते हुए कहा।
‘‘दोस्त पुरानी बातों को भूल जाओ मैं तुम्हारे साथ वैसा धोखा नहीं करूंगा, जैसा मेरे पूर्वजों ने किया। तुम मेरे पक्के दोस्त हो। मैं नहीं चाहूंगा हमारी दोस्ती बदनाम हो।’’
बंदर, मगरमच्छ की बातों में आ गया और वह मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। नदी के बीच मझधार में पहुंचकर मगरमच्छ जोर से हंसने लगा।
मगरमच्छ ने बंदर से कहा, ‘‘मूर्ख बंदर मैं तुम्हें उस पार नहीं ले जा रहा हूं, मैं तो तुम्हें अपनी पत्नी के पास ले जा रहा हूं। जिससे वह तुम्हारा कलेजा खा सके।
इस बार तुम यह नहीं कह सकते की कलेजा पेड़ पर रख आया हूं, क्योंकि मुझे मालूम हो गया है सभी जानवरों का कलेजा उनके ही पास होता है।’’
मगरमच्छ की बात सुनकर बंदर हैरान हो गया। वह सोचने लगा, ‘उसने मगरमच्छ पर विश्वास करके गलती की है। अब इससे छुटकारा कैसे पाया जाएं।’
बंदर ने कहा, ‘‘मेरे दोस्त मेरा कलेजा खाकर तुम्हारी पत्नी खुश होती है तो मुझे भी बड़ी खुशी होगी। यह बात तुम मुझे प्यार से भी कहते तो मैं तुम्हारे साथ खुद ही चला आता। आखिर तुम मेरे दोस्त हो।’’
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बातों के बीच में बंदर अपने बचने का उपाय सोचने लगा। उसने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘तुम यहां के राजा हो?’’
‘‘हां....।’’
‘‘लेकिन तुम्हारी प्रजा कहां हैं? अच्छा यह बताओ उनकी संख्या कितनी हैं?’’
‘‘मैं यहां के एक हजार मगरमच्छ का राजा हंू।’’
इधर-उधर देखते हुए, ‘‘लेकिन मुझे तो कोई दिखाई नहीं दे रहा हैं। फिर मैं कैसे विश्वास कर लू की तुम इतने सारे मगरमच्छ के राजा हो? मैं सभी को देखना चाहता हूं।’’
‘‘ठीक है, मैं अभी सभी को बुलाता हूं।’’ मगरमच्छ ने अपने साथियों को आवाज दी।
अपने राजा की आवाज सुनकर मगरमच्छ जमा होने लगे।
बंदर ने कहां, ‘‘सभी मगरमच्छ को नदी के इस पार से उस पर लाइन से खड़े होने के लिए कहो। मैं गिनना चाहता हूं पूरे एक हजार मगरमच्छ है या नही?’’
सभी मगरमच्छ को लाइन से खड़े होने का आदेश दिया।
बंदर मगरमच्छ की पीठ से उतर कर दुसरे फिर तीसरे मगरमच्छ की पीठ पर पैर रखकर एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, सात ......सौ करके गिनता हुआ नदी के उस पार चला गया।
बंदर अपनी बुध्दिमानी से इस बार फिर से मगरमच्छ के चंगुल से बच गया। मगरमच्छ एक बार फिर अपनी मूर्खता पर पछता रहा था।
शिक्षा :- Moral Stories in Hindi : Svaarthee logon se savdhan | स्वार्थी लोगों से सावधान
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- हमेशा धोखेबाज और मक्कार लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए और कभी उनकी बातों पर विश्वास भी नहीं करना चाहिए।
- ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए, जो दूसरों को धोखा देते है और आपसे वफादारी के वादे करते हैं।
- जो दूसरों के बारे में झूठी अफवाहें फैलाते है, लेकिन स्वयं समाज विरोधी या असामाजिक कार्यो में लिप्त होते हैं।
- जिन लोगों का अपना स्वार्थ सिद्ध करना ही मुख्य उद्धेश्य होता है और जो धन को ही प्राथमिकता देते हैं ऐसे लोगो से सदा दूर रहना चाहिए।
- जिनके लिए दोस्ती, वफादारी, मानवता, इंसानियत, आपसी प्रेम और विश्वास कोई मायने नहीं रखती, ऐसे लोगों से दोस्ती नहीं करना चाहिए।
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