प्रेरक कहानी : निस्वार्थ मदद करें | inspirational story in hindi language - Prerak kahani | Hindi Stories

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प्रेरक कहानी : निस्वार्थ मदद करें | inspirational story in hindi language

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प्रेरक कहानी : निस्वार्थ मदद करें | inspirational story in hindi language 



प्रेरक कहानी : निस्वार्थ मदद करें | inspirational story in hindi language 

प्रेरक कहानी : निस्वार्थ मदद करें | inspirational story in hindi language में है. मोबाइल युग में हम दूर बैठे लोगों से जुड़ गए है लेकिन अपने पड़ोसी को भूल से गए है. हमें सदैव एक अच्छे पड़ोसी होने का फर्ज अदा करना चाहिए और किसी की भी मदद बिना स्वार्थ के करना चाहिए। स्वार्थपूर्ण की गई मदद का एहसास सामने वाले को हो जाता हैं। जब कभी आपके मन में पड़ोसी के प्रति दया, करूणा व मित्रता का भाव उत्पन्न होता है और समपर्ण भाव से अपने पड़ोसी की परेशानी दूर करने का प्रयास करते हैं तो वह भी आपसे आत्मिक रूप से जुड़ जाता हैं।


चीकू खरगोश सतपुड़ावन में रहता था। वह मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार को पालता था। उसके व्यवहार की वजह से उसके अड़ोस-पड़ोस के लोग काफी खुश थे।


उसके पड़ोस में चतरू नाम का एक सियार रहता था। चतरू सियार, चीकू से बहुत चिढ़ता था। क्योंकि मोहल्ले में सभी जानवर चीकू को पसंद करते थे। वहीं चतरू सियार को कोई पूछता तक नहीं था। 

एक दिन अचानक चीकू को अपने भाई का फोन आया। उसकी तबीयत खराब थी और वह चीकू से मिलना चाहता था।

चीकू अपने भाई के पास जाना चाहता था, लेकिन आज ही उसने काफी मात्रा में गाजर बेची थी। उसके पास घर पर काफी रूपया रखा हुआ था। बैंक की छुट्टी होने की वजह से वह अपने रूपये बैंक में जमा नहीं कर पाया था।


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चीकू सोचने लगा ‘इतने सारे रूपये लेकर सफर करना खतरनाक हो सकता था और घर में रखकर जाने पर चोरी हो जाने का डर था, क्यों न सारे रूपये अपने पड़ोसी चतरू सियार के पास रख दूं।’


वह चतरू सियार के पास पहुंचा। उसने कहा, ‘‘चतरू भाई, मैं कुछ दिनों के लिए अपने भाई से मिलने चंपकवन जा रहा हूं। मेरे पास जो जमा पूंजी है, उसे तुम अपने पास रख लो। लौटकर मैं ले लूंगा।’’

चीकू की बात सुनकर चतरू ने घबरा कर कहा, ‘‘ना बाबा ना। मैं इतने सारे रूपये अपने पास नहीं रख सकता। अगर मेरे पास से चोरी हो गए तो मैं उसकी भर पायी कभी नहीं कर पाऊंगा।’’

चतरू की बात सुनकर चीकू निराश होकर अपने घर लौट आया। उसने सोचा, चतरू सही कह रहा है। यदि उसके पास से भी रूपये चोरी हो गए तो वह कहां से देंगा। 
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इधर, चीकू के लौट जाने के बाद चतरू सियार के मन में लालच आ गया। 

वह चीकू के रूपये हड़पने के बारे में सोचने लगा, ‘अगर मैं इन रूपयों को अपने पास रख लू तो इन से अपने शौक पूरे कर सकता हूं। चीकू के वापस मांगने पर यदि उसे रूपये नहीं लौटाऊगा तो भी वह, मेरा कुछ भी नहीं कर पाएगा।’ 


यह विचार आते ही चतरू जल्दी से उठा और चीकू के घर जाकर उससे कहां, ‘‘चीकू भाई, तुम्हारे जाने के बाद मेरा मन मुझे    धिक्कारने लगा कि एक पड़ोसी दुसरे पड़ोसी के काम नहीं आयेगा तो कौन आयेगा। 

यही सोचकर मैं तुम्हारी सहायता करने आया हूं। लाओं मुझे रूपये वाली थैली दे दो। मैं तुम्हारे आने तक इसे काफी हिफाजत से अपने पास रखूगां।’’

चतरू की बातें सुनकर चीकू उसके मन की बात समझ गया। 

उसने कहा, ‘‘प्रिय पड़ोसी, अब मैंने अपना इरादा बदल लिया है। तुम्हें कष्ट करने की जरूरत नहीं। मैं बैंक खुलने के बाद सारे रूपये बैंक में जमा करके ही अपने भाई से मिलने जाऊंगा।’’

चतरू अपना सा मुंह लेकर वहां से चला गया।


शिक्षा:- प्रेरक कहानी : निस्वार्थ मदद करें | inspirational story in hindi language 


इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि 

  • सदैव एक अच्छे पड़ोसी होने का फर्ज अदा करना चाहिए और किसी की भी मदद बिना स्वार्थ के करना चाहिए। स्वार्थपूर्ण की गई मदद का एहसास सामने वाले को हो जाता हैं। 
  • एक अच्छे पड़ोसी का गुण होता है कि बिना किसी लालच के वह अपने पड़ोसी की मदद करता हैं।
  • जब कभी आपके मन में पड़ोसी के प्रति दया, करूणा व मित्रता का भाव उत्पन्न होता है और समपर्ण भाव से अपने पड़ोसी की परेशानी दूर करने का प्रयास करते हैं तो वह भी आपसे आत्मिक रूप से जुड़ जाता हैं।
  • जब मन में लालच व द्वेष की भावना लेकर पड़ोसी की मदद के लिए आगे आते हैं तो वह आपके स्वार्थीपन को ताड़ जाता हैं और उसके मन में आपके प्रति विश्वास व प्रेम की भावना खत्म हो जाती हैं।
  • सदैव दूसरो की निस्वार्थ मदद करनी चाहिए।

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