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Achchhe Naagarik Hone Ka Pharj Nibhaen | अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाएं
राहुल दूर दराज के एक गांव में अपने माता-पिता के साथ रहता था। राहुल को पढ़ने का बहुत शौक था।
राहुल के गांव में कोई स्कूल नही था, इसीलिए वह अपने गांव से दो किलोमीटर एक कस्बे में पढ़ने के लिए जाता था।
राहुल रोजाना अपने गांव से अकेले ही स्कूल पढ़ने जाता था। वह रेलवे पटरी के किनारे बनी पगड़डी से उछलते-कूदते स्कूल आता जाता था।
घर से स्कूल आते-जाते अक्सर राहुल पटरी पर से गुजरते ट्रेनों को देखा करता था। वह ट्रेन में सवार लोगों को हाथ हिलाकर टा-टा करके अपनी खूशी जाहिर करता था।
यात्रियों को देखकर वह मन ही मन सोचता, ‘एक दिन मैं भी बड़ा होकर ट्रेन में बैठूगा।’
यात्रियों को टाटा करना राहुल का रोज का नियम सा बन गया था। इससे उसकी थकान भी दूर हो जाती और ट्रेन में सवार लोगों को देखकर उसमें पढ़ने का जुनून सवार हो जाता था और वह खूब मन लगा कर पढ़ता।
राहुल पढ़ाई में तेज था। सर्दी, गर्मी या बरसात वह रोज स्कूल जाता था। वह स्कूल से कभी भी छुटटी नहीं लेता था। उसके सहपाठी और स्कूल के टीचर सभी उसे बहुत प्यार करते थे।
एक दिन राहुल ने अपने स्कूल टीचर से पूछा, ‘‘सर, रोज स्कूल आते समय एक ट्रेन पटरी से गुजरती है। वह ट्रेन कहां से आती है और कहां जाती है?’’
उसकी बात सुनकर टीचर ने मुस्कराते हुए पूछा, ‘‘तुम यह क्यों पूछ रहे हो?’’
‘‘सर, बड़ा होकर एक दिन मैं भी टेªन में बैठगा। इसीलिए.......।’’ राहुल ने जवाब दिया।
‘‘बेटा यह ट्रेन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से आती है और देश की राजधानी दिल्ली तक जाती है।’’ टीचर ने उसे समझाते हुए कहां।
बरसात का मौसम था।
रात के समय काफी तेज वर्षा हुई। राहुल के माता-पिता ने उसे स्कूल जाने से मना किया, लेकिन वह नहीं माना।
राहुल बोला, ‘‘एक दिन स्कूल नहीं जाऊगा तो पढ़ाई का बहुत नुकसान होगा।’’
राहुल ने अपनी बरसाती पहनी और स्कूल के लिए चल पड़ा। जब वह घर से निकला तो वर्षा कम हो गयी थी।
पगड़डी से चलते अचानक वह रूक गया।
राहुल ने देखा नदी के ऊपर रेलवे लाइन का पूल टूटा हुआ है। वह टूटे पूल को देखने लगा।
तभी उसे ध्यान आया कि इसी वक्त यहां से दिल्ली जाने वाली ट्रेन गुजरती है। यदि उसने कुछ नहीं किया तो ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो सकती हैं।
वह सोचने लगा, अब मैं क्या करूं जिससे ट्रेन रूक जाएं।
वह इधर-उधर देखने लगा। उसे आस-पास कोई दिखाई नहीं दे रहा था, जिससे मदद मांगे।
कुछ देर सोचने के बाद उसके दिमाग में यह विचार आया कि यदि मैं ट्रेन को रूकवा दूं तो वह दुर्घटना होने से बच जाएंगी।
राहुल ने जल्दी-जल्दी आस-पास के पेड़ों से छोटी-छोटी टहनियां तोड़ कर पटरी के ऊपर लाकर रखने लगा।
कुछ ही देर में उसने वहां हरे-हरे पत्तों से भरी टहनियों का ढ़ेर लगा दिया।
राहुल ने टहनियों के ढेर को देखते हुए सोचा, ‘हां, अब यह पेड़ जैसा दिखाई दे रहा है। ट्रेन के ड्राइवर को यह दूर से जरूर दिखाई देंगा।’’
तभी राहुल को दूर से आते हुए ट्रेन की आवाज सुनाई दी। उस ने अपने दोनों हाथों में टहनियां पकड़ कर पटरी के ऊपर दौड़ने लगा। दौड़ते हुए वह अपने दोनों हाथों की टहनियों को भी हिलाते जा रहा था।
राहुल ने देखा ट्रेन अपनी पूरी गति से उसकी ओर बढ़ रही है। वह पटरी के बीचों-बीचों खड़ा होकर टहनियों को जोर-जोर से हिलाने लगा।
ट्रेन के ड्राइवर की नजर पटरी पर खड़े राहुल पर पड़ी। उसके हाथों में पकड़े टहनियों को देखकर उसे खतरे का आभास हुआ।
ड्राइवर को समझते देर नहीं लगी कि यह लड़का ट्रेन को रोकने का इशारा कर रहा है। तभी ड्राइवर की नजर दूर पटरी पर रखेे पत्तों के ढ़ेर पर पड़ी। उसे लगा कोई पेड़ पटरी पर गिर गया है। इसीलिए यह लड़का ट्रेन रोकने का इशारा कर रहा हैं। उसने तुरन्त ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया।
ट्रेन की गति धीरे-धीरे कम होते-होते राहुल के पास आकर रूक गयी।
ट्रेन के रूकते ही राहुल ड्राइवर के पास जाकर बोला, ‘‘सामने नाले पर पूल टूट गया है। ट्रेन आगे नहीं जा सकती हैं।’’
ड्राइवर ने पूछा, ‘‘लेकिन यहां तो पेड़ गिरा हुआ दिखाई दे रहा है।’’
‘‘सामने पूल टूटा हुआ था, इसीलिए मैंने यहां पेड़ की टहनियों का ढ़ेर लगा दिया। जिससे आप दूर से ही आसानी से देख सकें और समय रहते ट्रेन को रोक दें।’’ राहुल ने कहा।
राहुल की वजह से एक बड़ी दुर्घटना होते-होते बची।
ट्रेन के यात्रियों ने राहुल को शाबाशी दी।
ट्रेन के यात्री राहुल से खुश होकर उसे चाकलेट व बिस्कुट देने लगे, लेकिन उसने लेने से इंकार कर दिया।
राहुल ने कहां, ‘‘यह तो मेरा फर्ज था और मेरे टीचर कहते हैं, कभी किसी से कुछ नहीं लेना चाहिए।’’
ड्राइवर ने राहुल का नाम, घर और स्कूल का पता आदि नोट कर लिया।
राहुल देर से स्कूल पहुंचा।
उसने अपने टीचर को जब पूरी बात बतायी तो वह बहुत खुश हुए और उसे शाबाशी दी।
26 जरवरी में साहसी बच्चों को दिये जाने वाले पुरस्कार सूची में राहुल का नाम भी शामिल किया गया था। उसे पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली बुलाया गया था।
दिल्ली जाते समय ट्रेन में बैठकर राहुल बहुत खुश हुआ। उसकी खुशी उस समय और बढ़ गयी जब उसे पता चला की यह वही ट्रेन है जिसे दुघर्टना होने से बचाया था।
शिक्षा :-
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- हमेशा एक अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाना चाहिए और किसी की भी मदद बिना स्वार्थ के करना चाहिए।
- अचानक आई विपत्ति से बचने के लिए धैर्य और साहस से कार्य करना चाहिए।
- कभी भी समस्या से घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसा कोई भी काम नहीं है जिसे न किया जा सकें। कोशिश करने से समस्या का हल मिल जाता हैं।
- जहां ताकत काम न आएं वहां बुद्धि से काम लेना चाहिए।
- मन में मदद करने की दृढ़ संकल्प हो, उसमें आत्मविश्वास हैं तो अपने उद्धेश्य को पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता है।
- व्यक्ति भले ही कद में छोटा हो, कमजोर हो, उम्र कम हो, लेकिन मन से वह मजबूत इरादा वाला है तो उसे अपने उद्धेश्य को पूरा कर सकता हैं।
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