Prerak Kahani :झूठी शान दिखाने के चक्कर में न रहें
प्रेरक कहानी (Prerak Kahani) "झूठी शान दिखाने के चक्कर में न रहें" कहानी में बताया गया है कि बच्चों को दिखावा नहीं करना चाहिए। दिखावं के चक्कर में समय और पैसा दोनों ही बर्बाद होता है। साथ ही झूठी शान दिखाने के चक्कर में हम अपना समय, रूपया तो गंवाते है मान सम्मान भी खोते है।
राहुल के सभी दोस्तों के पास बाइक थी। वे सभी अपनी बाइक से ही काॅलेज आते-जाते थे।
राहुल साइकिल से काॅलेज जाता था।
यह देखकर उसके दोस्त उसे ‘छोटा-सा बच्चा, दूध पीता बच्चा’ कहकर चिढ़ाते थे। रोज-रोज दोस्तों के कमेंट सुन-सुन कर राहुल परेशान हो गया।
एक दिन उसने अपने पापा से बाइक खरीदने की जिद्द करने लगा।
राहुल के पापा ने कहां, ‘‘तुम्हें बाइक की क्या जरूरत है। काॅलेज आने-जाने के लिए तुम्हारे पास तो साइकिल हैं न।’’
राहुल ने रोते-रोते कहां, ‘‘मेरे सभी दोस्त बाइक से काॅलेज आते है। मुझे साइकिल पर देखकर वे मुझ पर कमेंट करते हैं।’’
राहुल की बात सुनकर उसके पापा ने कहां, ‘‘मैं तुम्हें इस शर्त पर बाइक खरीदकर दूंगा कि तुम बाइक तेज नहीं चलाओगे, काॅलेज के अलावा बाइक से इधर-उधर फालतू नहीं घूमोगें।’’
यह सुनकर राहुल खुशी से उछलते हुए बोला, ‘‘पापा, मुझे आपकी एक नहीं सभी शर्ते मंजूर हैं।’’
बाइक पाकर राहुल खुश हुआ। वह रोज बाइक से स्कूल जाने लगा। शुरू-शुरू में राहुल अपनी बाइक धीरे-धीरे चलाता था, लेकिन जल्दी ही वह अपने दोस्तों की देखा-देखी बाइक तेज चलाने लगा।
तेज बाइक चलाने में राहुल को मजा आने लगा। अब वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ बाइक की रेसिंग भी लगाने लगा। रेस जीतने पर उसे रूपये मिलते थे। इससे उसे रेसिंग करने में और मजा आने लगा।
एक दिन की बात है। शाम का वक्त था। राहुल के पापा आफीस से लौट रहे थे। तभी उन्होंने देखा, राहुल तेजी से बाइक चलाते हुए उनके पास से फुर्र से निकल गया।
यह देख कर उसके पापा को बहुत गुस्सा आया।
जब वे घर पहुंचे तो राहुल उस वक्त भी घर नहीं पहुंचा था।
राहुल जब घर पहुंचा तो उसके पापा ने देर से आने का कारण पूछा तो उसने कहां, ‘‘काॅलेज में एकस्ट्रा क्लास चल रही थी।’’
‘‘तुम झूठ बोल रहे हो। मैंने अपनी आंखों से तुम्हें दोस्तों के साथ बाइक रेसिंग करते हुए देखा है।’’
पापा की बात सुनकर राहुल घबरा गया। उसने पापा से कहां, ‘‘साॅरी पापा, मैं डर गया था कि आप मुझे मारेगें, इसीलिए मैंने झूठ बोला।’’
उसके पापा ने समझाते हुए कहां, ‘‘इस तरह अपना बहुमूल्य समय नष्ट करोंगे तो परीक्षा में अच्छे अंको से पास नहीं हो सकते। यह तुम्हारी पहली गलती है, इसीलिए छोड़ रहा हूं, लेकिन आगे से ध्यान रखना।’’
पापा के समझाने पर राहुल ने अपने दोस्तों के साथ बाइक लेकर घूमना कम कर दिया, लेकिन कुछ दिन बाद वह फिर से अपने दोस्तों के साथ बाइक लेकर घूमने लगा।
एक दिन राहुल फूल स्पीड से बाइक चलाते हुए जा रहा था। आगे सड़क पर बहुत सारा आयल गिरा हुआ था।
राहुल ने जब सड़क पर आयल देखा तो ब्रेक लगाकर बाइक को रोकने की कोशिश की, लेकिन बाइक फूलस्पीड में होने के कारण जब आयल के ऊपर पहुंची तो फिसल गयी।
उस वक्त सड़क पर कोई दूसरी गाड़ी नहीं आ रही थी, इसीलिए कोई बड़ी दुर्घटना होने से बच गया।
राहुल के पैर में मोच आ गया था और शरीर में कई जगह पर खरोचें आ गयी थी।
जब वह लंगड़ाते हुए घर पहुंचा तो उसकी मां यह देखकर घबरा गयी। उसने राहुल से पूछा, ‘‘तुम्हारे पैर पर मोच कैसे आयी और यह चोटें कैसे लगी?’’
‘‘कुछ नहीं मां, सड़क पर एक बच्चे को बचाने के चक्कर में गाड़ी फिसल गयी.... मामूली चोटें आयी है। पापा से कुछ मत कहना, वरना वे घबरा जाएगें।’’
इस घटना के बाद भी राहुल की आदत में कोई सुधार नहीं हुआ। वह पहले की तरह ही अब भी अपने दोस्तों के साथ बाइक से घूमता रहता था।
इस बार उसके बाइक का पेट्राल पंद्रह दिन में ही खत्म हो गया। उसके पास रूपये नहीं थे, क्योंकि कई दिनों से वह लगातार रेस हार रहा था।
राहुल ने अपने दोस्तों से पेट्रोल के लिए रूपये उधार मांगे, लेकिन उन्होंने भी रूपये देने से इंकार कर दिया।
उसके दोस्तों ने उसे झिड़कते हुए कहा, ‘जब पेट्रोल खरीदने की हैसियत नहीं थी तो बाइक क्यों खरीदी।’
राहुल ने उनकी बातों को सुनकर अनसुना कर दिया और अपने पापा से पेट्रोल के लिए रूपये मांगे।
उसके पापा ने कहां, ‘‘मैंने तुम्हें पहले ही कह दिया था कि एक माह में केवल पांच लीटर पेट्रोल मिलेगा। तुम्हारा स्कूल यहां से ज्यादा दूर नहीं है। पिछले माह पेट्रोल पच्चीस तारीख को ही खत्म हो गया था और इस बार तो पंद्रह ही दिन में। तुम्हें स्कूल आने-जाने के लिए चार लीटर पेट्रोल ही काफी है। इसका मतलब तुम बाइक लेकर घूमते रहते हो।’’
राहुल ने माफी मांगते हुए कहां, ‘‘अब दोबारा ऐसी गलती नहीं करूगा।’’
लेकिन उसके पापा इस बार नहीं माने। उन्होंने कहां, ‘‘तुम्हें, एक तारीख के पहले रूपये नहीं मिलेगे। बाइक में पेट्रोल नहीं है तो उसे घर पर ही रहने दो।’’
राहुल उदास हो गया।
उसे उदास देखकर पापा ने कहां, ‘‘मुझे भी हिसाब से रूपये खर्च करने पड़ते हैं। मैं आय से अधिक खर्च नहीं कर सकता। तुम समझदार हो, तुम्हें भी हिसाब से अपनी बाइक चलानी चाहिए।
दोस्तों के साथ बेवजह इधर-उधर बाइक लेकर घूमने से तुम्हारा ही नुकसान होता है। पेट्रोल तो खर्च होता है, साथ ही समय भी बर्बाद होता है। समय की कीमत को समझो, नहीं तो यह समय भी तुम्हारा साथ छोड़ देंगी।’’
राहुल को अपने पापा की बात समझ में आ गई।
अगले दिन उसने अपनी साईकल निकाली जो काफी दिनों से कोने में पड़ी थी।
राहुल जब साइकिल से काॅलेज पहुंचा तो उसके दोस्तों ने कहा, ‘बाइक क्या किराए की थी।..... दूसरे ने कहां, ‘अरे, नहीं बेचारे के पास पेट्रोल के लिए रूपये नहीं होगे........।
तीसरे ने कहा, ‘‘क्यों दो ही दिन में निकल गई रईसी.....चला था हमारी बराबरी करने। दो ही दिन में रास्ते पर आ गया।’’
पूरे काॅलेज के लड़को के सामने उनके कमेंट सुनकर राहुल के आंखों में आसू आ गए।
उसने मन ही मन निश्चय किया कि आज के बाद वह कभी भी किसी की देखा देखी कोई काम नहीं करेगा।
शिक्षा:-
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- दिखावा न करें। दिखावे के चक्कर में हम अपना समय और पैसा दोनों ही बर्बाद करते हैं।
- लोग क्या कहेंगे, जैसी बातें सोच कर परेशान नहीं होना चाहिए। क्योंकि लोगों का काम है कहना। वे बात-बे-बात पर कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं।
- यदि आप लोगों के हिसाब से चलोगे तो उन्हें कभी खुश नहीं कर पाओगे।
- कभी कर्ज लेकर झूठी शान नहीं दिखानी चाहिए। झूठी शान दिखाने के चक्कर में कभी-कभी शर्मिन्गी का सामना भी करना पड़ता है।
- किसी की देखा-देखी कोई काम नहीं करना चाहिए। आप जैसे है, वैसे ही लोगों के सामने आएं।
- झूठी शान दिखाने के चक्कर में आप अपना रूपया पैसा तो खर्च करते है साथ ही साथ मान-सम्मान भी गंवाते है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.