Prerak Kahani : किस्मत का दोष - Prerak kahani | Hindi Stories

Breaking

Home Top Ad

Prerak Kahani : किस्मत का दोष

Baccho ki Kahani,Hindi Kahaniya,Moral Stories in Hindi,Motivational Story In Hindi,Prerak Kahani,Prerak Kahaniya,





Prerak Kahani : किस्मत का दोष



गरीब क्यों गरीब हैं, क्योंकि वह काम करने से डरता हैं। काम को आज नहीं कल पर ठालता रहता हैं। अपनी गलतियों के लिए किस्मत को दोष न दें। कर्मठ बनिए। काम से जी न चुराएं। काम को टालने की कोशिश न करें। गरीबी दूर करना है तो अभी, इसी वक्त काम में जुट जाइये। काम करना है, काम तो करना चाहता हूं, कोई काम ही नहीं देते जैसे बातों को भूल कर काम करने वाला बनिए। अपनी गलतियों के लिए किस्मत को दोष देना छोड़ दें। याद रखें, किस्मत को दोष देने से कोई अमीर नहीं बन सकता है।


राजा सुमेर सिंह को रात-दिन अपने प्रजा की चिंता रहती थी। वे अपनी प्रजा को हमेशा खुश और सुखी देखना चाहते थे।

राजा अपनी प्रजा का हालचाल पता करने के लिए राज्य मंे घुमा करते थे। उन्होंने देखा, उनके राज्य के लोग काफी गरीब है। गरीबों को भीख मांग कर अपना गुजारा करना पड़ता है। 


यह देख कर उन्हें काफी दुख हुआ। उन्होंने मन ही मन सोचा, इन गरीबों के लिए उन्हें कुछ करना चाहिए।

‘‘मेरे विचार से इन्हें दान दिया जाए, जिससे इनकी जिंदगी सुधर जाएं।’’ राजा ने मंत्री मान सिंह से कहा।
‘‘महाराज मेरा मानना है दान देने से इनकी गरीबी दूर नहीं होगी। इनके लिए रोजगार की व्यवस्था करवाना उत्तम रहेगा।’’

‘‘नहीं मंत्री जी हमने मन बना लिया है। राज्य के सारे भिखारियों को इतना दान देंगे कि वे अपनी बची हुई जिंदगी शान से गुजार सकें।’’ राजा ने कहां।

‘‘महाराज इससे भिखारियों की संख्या भी कम नहीं होगी। दान लेने के लिये लोग भीख मांगना शुरू कर देंगे। दान देने से राज्य कोष का भी नुकसान होगा।’’ मंत्री मान सिंह ने कहा। 

राजा ने मंत्री की बात नहीं सुनी।

अगले दिन राज्य में घोषणा करवा दर गयी कि राज्य के जितने भी भिखारी है, राजमहल में पहुंच जाएं। राजा उनकी गरीबी दूर करेंगे। अब राज्य में कोई गरीब नहीं रहेगा।

अगले दिन राजा सुमेर सिंह के दरबार में भिखारियों की भीड़ जमने लगी। जो भी भिखारी उनके पास आता, पहले उन्हें अच्छे से नहलाया जाता, अच्छे कपड़े पहनाएं जाते, उन्हें भरपेट खाना खिलाया जाता और जाते समय एक तरबूज उपहार स्वरूप देकर विदा करते। 


राजा सुमेरसिंह मन ही मन सोच रहे थे। उनके द्वारा दिए गये उपहार से राज्य के भिखारी भी मालामाल हो जाएंगे। अब राज्य में कोई भिखारी नहीं रहेगा। 

महिनों बाद एक दिन राजा सुमेरसिंह फिर भेष बदल कर राज्य का भ्रमण के लिए निकले। उनके साथ मंत्री मान सिंह भी थे। 

राजा ने देखा, राज्य में भिखारियों की संख्या में कोई कमी नहीं आयी थी। 

यह देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने एक भिखारी से पूछा, ‘‘तुम राजा के यहां क्यों नहीं जाते, राजा ने घोषणा कर रखा है कि उनके राज्य में कोई गरीब नहीं रहेगा।’’

‘‘राजा हमारी गरीबी क्या दूर करेगा? उसे पता ही नहीं है गरीबी क्या होती है। एक वक्त का खाना, एक जोड़ी नए कपड़े से क्या गरीबी दूर होती है?’’ भिखारी ने कहां।

‘‘और वह तरबूज जो जाते समय दिया जाता हैं।’’ राजा ने उत्सुकता से पूछा।

‘‘तरबूज हमारे किस काम का, उसे तो हम बेच देते है।’’ भिखारी ने कहां।


राजमहल लौटकर राजा ने निश्चिय किया कि राज्य से गरीबी दूर ऐसे नहीं होगी। गरीबी दूर करने के लिए इन्हें काम पर लगाना होगा।

अगले दिन उन्होंने घोषणा करवा दी कि राज्य में जो भी भिखारी है, वह राजदरबार पहुंच जाएं। राजा ने उनके लिए काम की व्यवस्था की है। काम के बदले उन्हें अच्छा मेहताना दिया जायेगा। राजा के घोषणा के बाद कोई भी भिखारी काम के लिए वहां नहीं आया। 

राजा ने अगले दिन घोषणा में यह जोड़ दिया कि जो भिखारी काम पर नहीं आयेगा उसे कठोर दण्ड दिया जायेगा। कठोर दण्ड की बात सुनकर भी कोई भिखारी काम पर नहीं आया। क्योंकि काम के डर से सभी भिखारी राज्य छोड़कर चले गए थे।




शिक्षा:-

इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि 
गरीब क्यों गरीब हैं, क्योंकि वह काम करने से डरता हैं। काम को आज नहीं कल पर ठालता रहता हैं।

कर्मठ बनिए। काम से जी न चुराएं। काम को टालने की कोशिश न करें।

गरीबी दूर करना है तो अभी, इसी वक्त काम में जुट जाइये। 

काम करना है, काम तो करना चाहता हूं, कोई काम ही नहीं देते जैसे बातों को भूल कर काम करने वाला बनिए।

अपनी गलतियों के लिए किस्मत को दोष देना छोड़ दें। याद रखें, किस्मत को दोष देने से कोई अमीर नहीं बन सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Pages