प्रेरक कहानी : New Motivational Story | लालच बुरी बला - Prerak kahani | Hindi Stories

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प्रेरक कहानी : New Motivational Story | लालच बुरी बला

प्रेरक कहानी : New Motivational Story | लालच बुरी बला
प्रेरक कहानी : New Motivational Story | लालच बुरी बला



प्रेरक कहानी : New Motivational Story | लालच बुरी बला

प्रेरक कहानी, लालच बुरी बला कहानी में बताया गया है कि लालच अपने साथ कई समस्या लाती हैं। मन में जब भी लालच आती हैं, तो वह अकेली नहीं आती, अपने साथ मुसीबत, परेशानी, डर जैसी भाई बंधुओं को साथ लेकर आती है। लालच में पड़कर व्यक्ति अपना विवेक खो देता हैं। लालच व्यक्ति के मस्तिष्क पर इस तरह से हावी हो जाता है कि उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाती हैं। लालच में पड़कर व्यक्ति आंख का अंधा, कान का बहरा हो और विवेकहीन हो जाता हैं।

किशोर अपनी दुकान में बैठा ग्राहकों से निपट रहा था। तभी उसकी दुकान पर राजेन्द्र नाम का एक व्यक्ति आया।


राजेन्द्र, किशोर से इधर-उधर की बातें करने लगा।

किशोर ने पूछा, ‘‘आपको क्या चाहिए।’’

राजेन्द्र ने कहा, ‘‘मुझे गिलहरी के पूंछ और कंवों के पंजे चाहिए।’’

उसकी बातें सुनकर किशोर हसंते हुए बोला, ‘‘क्यों मजाक कर रहे हो।’’

‘‘मैं, मजाक नहीं कर रहा..... आपके पास हैं क्या?’’ राजेन्द्र ने पूछा।

‘‘नहीं......!’’ किशोर ने कहा।

राजेन्द्र ने पूछा, ‘‘यहां किसी के पास मिलेगें।’’

‘‘मालूम नहीं....?’’

‘‘यदि आपको मिले तो मेरे लिए खरीद कर रखना। मैं प्रत्येक पूंछ के एक-एक लाख रूपये और पंजों के पच्चीस हजार रूपये दूंगा।’’

यह सुनकर किशोर की आंखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गयी।

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‘‘ये पच्चीस हजार रूपये एंडवास रख लीजिए, बाकी का माल मिलने के बाद दूंगा।’’ राजेन्द्र ने रूपये देते हुए कहा।

‘‘लेकिन.......।’’

राजेन्द्र ने अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा, ‘‘तुम मेरे साथ इस नंबर पर कांटेक्ट कर सकते हो।’’

उसके जाने के बाद किशोर ने अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को इस बारे में बताया। सभी गिलहरी की पूंछ व कांवों के पंजे ढुढ़ने लगे।

राजेन्द्र एक दो दिन के अंतर पर किशोर की दुकान पर आकर पूछ जाता या कभी-कभी फोन पर ही बात कर लेता था।


बातों ही बातों में उसने गोपीचंद्र को एक दिन बताया कि गिलहरी की पूंछ और कौवें के पंजों की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में लाखों रूपये है। एक बार मिल जाये तो जिंदगी बन जायेगी।

एक दिन गोपीचंद्र के पास दो व्यक्ति आये। उन्होंने कहां, ‘‘हमारे पास गिलहरी की पूंछ और कौवे के पंजे है। क्या आप बता सकते है, यहां ऐसा कोई है जो इन्हें खरीदता है।’’

गिलहरी की पूंछ और कौवे के पंजे के बारे में सुनकर किशोर की बाछें खिल उठी। उसने सोचा भगवान ने उसकी सुन ली जो घर बैठे बिठाए ही वे दोनों उसके पास आ गये।

गोपीचंद्र ने मोल भाव करके उन दोनों व्यक्तियों से पांच लाख रूपये देकर पूंछ व पंजे खरीद लिए।

गिलहरी की पूंछ और कौवें के पंजे इतने कम कीमत पर पाकर किशोर बहुत खुश था। उसने सभी पूंछ और पंजों का अंतराष्ट्रीय हिसाब लगाया तो वह करोड़ों का था।

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किशोर ने राजेन्द्र को फोन करके बता दिया कि उसके पास पूंछ व पंजे आए है। वह जल्दी से आकर ले जाएं।


राजेन्द्र ने किशोर से कहां, ‘‘तुम यह बात किसी को बताना नहीं, नहीं तो किसी ने पुलिस में शिकायत कर दी तो लेने के देने पड़ सकते है। क्योंकि पुलिस को पता चल गया तो वह तुम्हें गिरफ्तार भी कर सकती है।’’

राजेन्द्र की बात सुनकर गोपीचंद्र के होश उड़ गये। उसने यह बात तो पहले सोचा ही नहीं था। अब क्या होगा। उसने राजेन्द्र से कहा, ‘‘तुम जितनी जल्दी हो सकें यह माल यहां से ले जाओ।’’

धीरे-धीरे करके एक माह बीत गया।

राजेन्द्र नहीं आया।  

पहले तो वह फोन भी रिसीव कर लेता था लेकिन अब वह नंबर भी बंद हो गया।

गोपीचंद्र को अब अपने रूपयों से ज्यादा पूंछ व पजों को छुपाकर रखने की चिंता होने लगी। उसने लालच में आकर अपनी मेहनत की लांखों रूपये तो गवाएं ही और करोड़ों कमाने के चक्कर में एक बड़ी मुसीबत भी अपने गले में फंसा ली।


शिक्षा:- प्रेरक कहानी : New Motivational Story | लालच बुरी बला


इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
  • लालच बुरी बलां हैं। मन में जब भी लालच आती हैं, तो वह अकेली नहीं आती, अपने साथ मुसीबत, परेशानी, डर जैसी भाई बंधुओं को साथ लेकर आती है।
  • लालच में आकर बिना सोचे विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए।
  • लालच में पड़कर व्यक्ति अपना विवेक खो देता हैं। लालच व्यक्ति के मस्तिष्क पर इस तरह से हावी हो जाता है कि उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाती हैं। लालच में पड़कर व्यक्ति आंख का अंधा, कान का बहरा हो और विवेकहीन हो जाता हैं।


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