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Prerak Kahani : मुखौंटा लगाकर अपनी असलियत को न छुपाएं
डब्बू गधे को एक दिन कहीं से घोड़े की नाल मिल गई। वह बहुत खुश हुआ। उसने मन ही मन सोचा, ‘अब मैं भी घोड़े की नाल लगा कर घोड़ा बन जाएगा।’
नाल लगवाने के लिए वह लोहार के पास गया। उसने लोहार से कहा, ‘‘मुझे यह नाल लगा दो।’’
डब्बू की बात सुनकर लोहार हंसते हुए बोला, ‘‘गधे के पैर में घोड़े की नाल.... क्या जमाना पलट गया है।’’
‘‘इसमें हंसने जैसी कौन सी बात हैं। जब लड़किया जींस टी-शर्ट पहन सकती है, स्कूटर, मोटर साईकिल, कार चला सकती है तो फिर गधा पैरों में नाल क्यों नहीं लगवा सकता हैं।’’ गबरू ने तुनक कर पूछा।
लोहार, डब्बू गधे की बात सुनकर काफी देर तक हंसता रहा।
डब्बू गधे ने उसके हाथ से नाल वापस ले ली और दूसरे लोहार के पास पहुंचा।
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डब्बू गधे द्वारा अपने पैरो में नाल लगवाने की बात सुनकर लोहार हंसते हुए बोला, ‘‘आज मुझे पता चला गधा क्यों गधा कहलाता हैं।’’
डब्बू उससे गुस्सा होकर तीसरे लोहार के पास पहुंचा। तीसरे लोहार ने भी वहीं कहा, ‘‘घोड़े की नाल लगवा लेने से गधा घोड़ा नहीं हो जाता है।’’
वह चौथे लोहार के पास पहुंचा। चैथे लोहार ने डब्बू को ऊपर से नीचे तक देखा। वह उसे ऐसे देख रहा था जैसे किसी दुसरे संसार के प्राणी को देख रहा है। डब्बू वहां से लौट आया।
डब्बू पांचवें लोहार के पास पहुंचा। उसने डब्बू को समझाते हुए कहा, ‘‘गधे के पैरो में नाल शोभा नहीं देता है। इसलिए तुम इसे मत लगवाओ। इसे लगाने पर तुम्हारे पैरों में तकलीफ भी होगी।’’
डब्बू कहा मानने वाला था। उसने कहा, ‘‘मुझे तो यह नाल लगवानी ही है। आप लगाकर नहीं दोंगे तो मैं किसी और के पास जाकर लगवा लूगा।’’
इसी तरह डब्बू एक के बाद एक कई लोहारों के पास गया।
नाल लगवाने की बात सुनकर सभी हंसते और उसे चिढ़ाते।
गधा छटवें लोहार के पास पहुंचा।
वह स्वभाव से चालाक और मक्कार था। उसने डब्बू से नाल लगवाने के अधिक पैसे मांगे।
डब्बू के पास उतने रूपये नहीं थे। वहां से चला गया।
सातवें लोहार के पास पहुंचा।
उसने गबरू के पैरों में नाल लगाने से पहले पूछा, ‘‘अब तक तुम कितने नालवालों से मिल चुके हो।’’
डब्बू ने कहा, ‘‘अब तक वह छह लोगों से मिल चुका है। सभी उसे नाल लगवाने के लिए मना कर रहे है।’’
‘‘मेरी भी यह सलाह है कि तुम नाल लगवाने की बात भूल जाओ।’’
‘‘क्यों.....?’’ डब्बू ने पूछा
‘‘इससे तुम्हारे पैरों में काफी तकलीफ होगी। तुम्हारा चलना मुश्किल हो जाएगा.’’
‘‘नाल मेरा, पैर मेरा, नाल लगवाने के लिए पैसा भी दे रहा हूं तकलीफ होगी तो मुझे होगी। आप मुझे नाल लगा दो।’’
‘‘नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता।’’ उसने नाल लगाने से मना कर दिया।
उसकी बात सुनकर डब्बू जोर से चिल्ला उठा। उसने कहा, ‘‘नाल नहीं लगवाना तो इतनी लंबी पूछताछ करने की क्या जरूरत थी। लाओ मेरी नाल मैं और कहीं से लगवा लूंगा।’’
डब्बू नाल लेकर चला गया। वह घुमते-घुमते काफी थक गया था। एक पेड़ के नीचे बैठ कर सुसताने लगा।
थोड़ी देर में वहां एक व्यक्ति आया। वह भी पेड़ के नीचे सुस्ताने लगा।
शाम हो चुकी थी। वह व्यक्ति मन ही मन सोच रहा था आज सुबह से शाम हो गयी मगर कोई भी नाल लगवाने वाला नहीं मिला।
उस व्यक्ति ने डब्बू गधे से पूछा, ‘‘शक्ल देखकर लग रहा है तुम कुछ चिंता में हो।’’
‘‘अब देखो न मेरे पास नाल है। मैं उसे लगाना चाहता हूं। इसके लिए मैं उसका वाजिब मजदूरी भी देना चाहता हूं, पर कोई नाल लगाने के लिए तैयार ही नहीं हैं।’’
‘‘कोई तो वजह होगी जो उन्होंने नाल लगाने से मना कर दिया है।’’
‘‘यह सब मेरे खिलाफ साजिश है। वे सब कह रहे है मैंने अगर नाल लगवा ली तो मेरी स्टाइल बदल जायेगी। नाल वालों को ये बात बर्दास्त नहीं हो रही है।’’
‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं।’’
‘‘हां, यही बात हैं।’’
‘‘बात यह है कि तुम्हारे पैर में नाल की कील ठोकने से तुम्हें तकलीफ होगी। इसलिए नाल वाले तुम्हें नाल लगाने के लिए मना कर रहे है।’’
‘‘मैं नहीं मानता।’’
‘‘इतने लोग कह रहे है तो मानना चाहिए।’’ नाल वाले ने कहा।
‘‘मुझे किसी की बात पर विश्वास नहीं..... जब तक में खुद अपने पैरों में नाल न लगवा लूं।’’
‘‘ठीक है मैं तुम्हें नाल लगा कर देता हूं।’’
उस व्यक्ति ने डब्बू के पैरों में नाल लगाकर कील ठोकने लगा। डब्बू को तेज दर्द होने लगा, लेकिन उसने हिम्मत करके दर्द को बर्दास्त कर लिया।
नाल लग जाने पर डब्बू बहुत खुश हुआ।
जब वह सड़क पर चलने लगा तो उसके पैरों में काफी तकलीफ होने लगी। उसने दर्द को सहने की कोशिश की, लेकिन उससे खड़े भी नहीं होते बन रहा था।
डब्बू लौट कर नाल लगाने वाले व्यक्ति के पास गया और बोला, ‘‘ अब मैं समझ गया हूं कि गधे के पैर में घोड़े की नाल लगा लेने से गधा घोड़ा नहीं बन जाता है। अब मैं कभी किसी की नकल नहीं करूंगा।’’
शिक्षा:-
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- आप जैसे है, वैसे ही ठीक है. चेहरे पर मुखौटा लगा लेने से आप अपनी असलियत को अधिक समय तक किसी से छुपा कर नहीं रख सकते हैं।
- व्यक्ति को उधार लेकर झूठी शान नहीं दिखानी चाहिए। झूठी शान का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि झूठी शान शीघ्र उजागर हो जाती हैं।
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