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प्रेरक कहानी : प्रेरक कहानी : अवसर को पहचाने || Hindi Moral Stories
राजा विक्रम सिंह की बुढ़े हो गये थे। उनसे अब राजकाज संभालने में परेशानी होती थी, इसीलिए उन्होंने अपना उत्तराधिकारी चुनने का निश्चय किया।
राजा विक्रम सिंह के तीन बेटे थे। वे चाहते थे तीनों राजकुमारों में जो सबसे अधिक बुद्धिमान और योग्य हो उसे ही राज्य का राजा बनाया जाएं।
एक दिन राजा ने तीनों राजकुमार को अपने पास बुलाया और कहां, ‘‘तुम्हें ऐसी चीज़ खरीद कर लानी है जो एक बड़े कमरे को भर दें इसके लिए तुम्हें एक-एक सोने की मोहरे दी जा रही है। अगर तुम इसमें से कुछ रूपये बचा सकों तो और अच्छी बात हैं।’’
तीनों बेटे अपने पिता से कुछ कहना चाहते थे, मगर राजा विक्रम सिंह ने उन्हें हाथ के इशारे से चुप रहने का इशारा किया।
‘‘अब तुम लोग जा सकते हो। इस काम के लिए तुम्हें एक सप्ताह का समय दिया जाता है जिससे तुम सोच विचार करके सही वस्तु खरीद सको।’’
पिता के आदेश पर तीनों राजकुमार वहां से चले गए। तीनों रास्ते में सोचने लगे ऐसी क्या वस्तु खरीदी जाएं, जिससे पूरा कमरा भर जाएं।
काफी सोच विचार के बाद बड़े बेटे ने पिता द्वारा दिए रूपये से रूई खरीदी और कमरे में ले जाकर रख दिया। रूई से पूरा कमरा भर गया।
दुसरे बेटे ने आधे रूपये में घास खरीदी और लाकर कमरे में भर दिया। वह बहुत खुश हुआ क्योंकि उसने अपने पिता के कहे अनुसार आधे रूपये बचा लिए थे।
तीसरे बेटे ने अभी तक कुछ नहीं खरीदा था।
बड़े भाई ने अपने छोटे भाई से पूछा, ‘‘तुम ने अभी तक कुछ नहीं खरीदा है?’’
‘‘मैंने बनाने के लिए कारीगर को दे दिया है। कुछ ही दिन में बनकर तैयार हो जाएगा।’’
बड़े भाई ने पूछा, ‘‘तुमने क्या बनाने के लिए दिया हैं?’’
छोटे भाई ने कहां, ‘‘समय आने पर मैं, आप सभी को दिखा दूंगा।’’
सात दिन के बाद राजा विक्रम सिंह ने तीनों बेटों को राज दरबार में बुलाया और पूछा, ‘‘क्या तुम तीनों ने अपनी-अपनी वस्तुएं खरीद ली है।’’
‘‘हां महाराज।’’ तीनो राजकुमारों ने एक साथ कहां।
‘‘तुमने क्या खरीदा हैं?’’ राजा ने बड़े बेटे से पूछा।
बड़े बेटे ने शान से कहा, ‘‘महाराज, मैंने आपके दिए गये धन से रूई खरीदी है। इससे पूरा कमरा भर गया और आपके आदेश के अनुसार कमरे में आने-जाने की जगह भी रखी है।’’
दूसरे बेटे ने कहां, ‘‘महाराज, मैंने आपके दिए गये धन से घास खरीदी हैं जिससे पूरा कमरा भर गया हैं और आपके आदेश अनुसार मैंने उससे आधे रूपये भी बचा लिए हैै।’’
राजा विक्रम सिंह ने अपने छोटे बेटे से पूछा, ‘‘तुमने क्या खरीदा है?’’
छोटे बेटे ने विन्रमता से कहा, ‘‘महाराज, यह देखने के लिए आपको मेरे साथ कमरे तक चलना होगा।’’
महाराज उसके साथ कमरे में गये।
वहां जाकर उन्होंने देखा पूरा कमरा खाली है और कमरे के बीचों बीच एक छोटा सा दिया जल रहा है। जिससे पूरे कमरे में रोशनी फैल रही थी।
यह देखकर राजा विक्रम सिंह बोले, ‘‘शाबाश तीनों बेटो में सबसे बुद्धिमान और योग्य तुम ही हो। मैं तुम्हें इस राज्य का राजा घोषित करता हूं।’’
छोटे राजकुमार का धूमधाम से राजअभिषेक किया गया।
शिक्षा:-
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
- यदि आप चाहते हैं कि संसार में आपका एक विशिष्ट स्थान बनें, आपके तमाम सपने साकार हो, आप अपने लक्ष्य तक पहुंचे, हर तरह की सुख-सुविधा आपको प्राप्त हो तो हाथ में आए अवसर को जाने न दें।
- अपने सामने आए अवसर को थोड़ा भी ढ़ील दी तो यह आपके हाथों से निकल जायेगी और आपने अपने जीवन में जो सपने संजोए रखे हैं, वे अधूरे ही रह जायेंगे।
- कभी भी अपने मन में नकारात्मक सोच नहीं लाना चाहिए। अच्छे अवसर बहुत कम ही मिलते हैं। उन अवसरों का फायदा उठाकर आप सफलता की बुलंदियों को छू सकते हैं।
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