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Jasoosi Kahani : Diamond Ki Chori, Prerak Kahani, हीरों की चोरी

 

उस वक्त रात के लगभग एक बज रहे थे. इंस्पेक्टर चीता चतुरसिंह पुलिसकर्मियों के साथ पेट्रोलिंग करके आफीस पहुंचे. इतने में फोन की घंटी बज उठी. 

जैसे ही उन्होंने फोन उठाया दूसरी ओर से आवाज आयी, ‘‘हलो, मैं पूनम ज्वेलरी का मालिक सेठ गजराज हाथी बोल रहा हूं. क्या मैं इंपेक्टर चतुरसिंह से बात कर सकता हूॅ.’’ 




‘‘मैं इंस्पेक्टर चतुरसिंह ही बोल रहा हूॅ......कहिए क्या बात है?’’

‘‘अभी-अभी मेरे यहां तीन-चार नकाबपोश बंदूकधारी घर में घुसकर करोड़ों रूपये के हीरें लुट कर ले गए है.’’

करोड़ों रूपए के हीरों की डकैती की खबर सुनकर इंस्पेक्टर चतुरसिंह ने ड्राइवर को जल्दी से गाड़ी निकालने के लिए कहा और तुरंत पुलिस टीम लेकर सेठ गजराज के घर की ओर रवाना हो गये. 


वहां पहुंचकर देखा सेठ गजराज के घर पर अंधेरा छाया हुआ था. गेट पर कोई चैकीदार भी नहीं था. 

इंस्पेक्टर चतुरसिंह दरवाजे को ढकेल कर कमरे के अंदर पहुंचे और टार्च की रोशनी में कमरे के अंदर स्वीच बोर्ड ढुंढ़ कर स्वीच आॅन कर दिया. कमरे में रोशनी हो गयी. 

लाइट की रोशनी में उन्होंने देखा, सामने कुर्सी पर गजराज और उसकी पत्नी बंधे हुए थे. उनके मुंह में कपड़ा ढूंसा हुआ था.

इंस्पेक्टर चतुरसिंह ने आगे बढ़ कर उनके मुंह से कपड़ा निकाला और दोनों की रस्सी खोल दी.

गजराज ने कहां, ‘‘मैं लुट गया......बर्बाद हो गया......मैं दिवालिया हो गया. मेरे करोड़ों के हीरें लुटकर ले गए.’’

इंस्पेक्टर चतुरसिंह ने उनसे घटना के बारे में जानकारी मांगी.



‘‘हम सो रहे थे. अचानक हमारे कमरे में दो-तीन बंदूकधारी नकाबपोश अंदर घुस आए. उन्होंने बंदूक की नोक पर हमसे तिजोरी खुलवाई और तिजोरी में रखे करोड़ों रूपए के हीरें लेकर चले गये.’’

‘‘नकाबधारी किस ओर से आये थे.’’ इंस्पेक्टर ने पूछा.

गजराज ने घर के पीछे की ओर बने खिड़की की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘शायद वहां से.’’

‘‘किधर से गये...’’

‘‘जिधर से आए थे, उधर से ही चले गये.’’ सेठ गजराज ने बताया.

इंस्पेक्टर चतुर सिंह ने पूछा, ‘‘आपको कब  बांधा?’’

‘‘जाते-जाते हमें कुर्सी पर बांधा और मुंह पर कपड़ा ढूंस कर चले गए’’ सेठ गजराज ने बताया. 

‘‘आपके यहां नौकर या चौकीदार नहीं हैं.’’ इंस्पेक्टर ने पूछा.

‘‘जी दोनों छुट्टी पर गये हैं.’’ गजराज ने कहा.

‘‘किसी पर कोई शक.’’

‘‘जी नहीं मुझे किसी पर शक नहीं...’’गजराज ने कहां. 

इंस्पेक्टर ने खिड़की के पास जाकर बारिकी से जांच किया. वहां ऐसे कोई निशान नहीं मिला जिससे यह पता चले की खिड़की से कोई घुसा था. उन्होंने कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया लेकिन उन्हें वहां भी कोई क्लू नहीं मिला. 

जांच करते-करते सुबह हो गयी. इंस्पेक्टर चतुरसिंह ने मामला दर्ज कर लिया. 

इंस्पेक्टर चतुरसिंह ने चौकीदार व नौकर के बारे में सूचना मांगी.

सेठ गजराज ने कहां, ‘‘मुझे उन दोनों के बारे में कुछ नहीं मालूम. दो दिन में लौट कर आने की बात कह कर गये थे.’’ 

इंस्पेक्टर चतुरसिंह ने सेठ को डांटते हुए कहां, ‘‘आपको मालूम नहीं किसी भी नौकर और चौकीदार को अपने घर पर काम में रखने से पहले उसके बारे में अच्छे से पता कर लेना चाहिए. यहीं नहीं उनकी सूचना पुलिस स्टेशन पर पहुंचानी चाहिए.’’

‘‘दोेनों बहुत सीधेसादे और ईमानदार लगे थे. इसीलिए इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. आगे से इस बात का ध्यान रखुंगा. जब कभी नया नौकर रखुंगा इसकी जानकरी पुलिस स्टेशन में जरूर      दूंगा.’’
 
कई महीने गुजर गये, लेकिन सेठ गजराज के यहां हुई करोड़ों के हीरों की लूट का कुछ पता नहीं चला.

इंस्पेक्टर चतुरसिंह सेठ गजराज के यहां पहुंचे और उनसे कहां, ‘‘हीरों के चोरी की झूठी रिर्पोट लिखवाने व पुलिस को गुमराह करने के आरोप में आपको गिरफ्तार किया जाता है.’’

सेठ गजराज ने कहां, ‘‘बिना सबूत के आप मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं.’’

इंस्पेक्टर ने कहा, ‘‘सबूत के साथ हम गिरफ्तारी का वारंट भी लेकर आएं है.

हीरों की लूट होने की सूचना मिलने पर जब मैं आपके घर पर जांच करने पहुंचा था. उसी वक्त मैं जान गया था कि हीरों की लूट नहीं हुई है.’’ 
 
‘‘पुलिस टीम के साथ मैं आपके घर पर पहुंचा उस वक्त आप और आपकी पत्नी कुर्सी से बंधे हुए थे और आप दोनों के मुंह में कपड़ा ढुंसा हुआ था.’’

मुझे उसी वक्त शक हो गया था. जब आपके हाथ-पैर कुर्सी से बंधे हुए थे और मुंह में कपड़ा ढुंसा हुआ था तो फिर आपने पुलिस को फोन कैसे किया? इसका मतलब हीरों की चोरी नहीं हुई है.’’

इंस्पेक्टर की बात सुनकर सेठ गजराज पसीना-पसीना हो गए और उसकी पत्नी डर के मारे रोने लगी.

इंस्पेक्टर ने आगे कहना शुरू किया. आपके इस लूट के ड्रामा में आपकी पत्नी और नौकर मोनू चूहे ने साथ दिया. मैंने जब इस मामले की बारिकी से जांच की तो पता चला कि हाल ही में आपने हीरों का बीमा करवाया था. बीमा की रकम हड़पने के लिए आपने हीरों की चोरी होने का ड्रामा किया.’’

‘‘सबसे पहले आपने चैकीदार को छुट्टी पर भेंज दिया और इसके बाद अपने खास नौकर मोनू चूहे को रूपयों का लालच देकर अपने साथ शामिल कर लिया.’’

‘‘रात के एक बजे आपने पुलिस स्टेशन पर फोन किया. इसके बाद आपके बताए अनुसार नौकर ने आपको और आपकी पत्नी को कुर्सी से बांध दिया और मुंह में कपड़ा ढुंसकर यहां से अपने गांव चला गया.’’

जब मैंने मामले की जांच शुरू की तो मुझे मामला साफ-साफ समझ में आ गया था. इसीलिए सबसे पहले गांव गया और वहां मोनू से मिला. 

उससे मैंने कहां, ‘‘सेठ गजराज ने खुद के बचाव के लिए पुलिस को तुम्हारा नाम बताया है. सेठ का कहना है हीरों की चोरी उनके यहां के नौकर मोनू ने की. मेरी बात सुनकर मोनू मेरे पैरों पर लोट गया. उसने सारी बातें सच-सच बता दी. 

इंस्पेक्टर ने आवाज लगायी तो सब इंस्पेक्टर बहादुर कुत्ता अपने साथ मोनू चूहे को लेकर कमरे के अंदर आ गया. मोनू के हाथ में हथकड़ी बंधी हुयी थी. 

इंस्पेक्टर चीता चतुरसिंह ने सेठ गजराज हाथी को गिरफ्तार कर लिया. सेठ गजराज हाथी के अपराध में सहयोग देने के लिए उसकी पत्नी और नौकर मोनू चूहे को भी गिरफ्तार कर लिया.

इंस्पेक्टर चीता चतुरसिंह ने कहा, ‘‘अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो पुलिस की नजरों से वह बच नहीं सकता.’’


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