प्रेरक कहानी : मन की सुंदरता तन की कुरूपता को मिटा देती हैं | Short Motivational Story In Hindi - Prerak kahani | Hindi Stories

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प्रेरक कहानी : मन की सुंदरता तन की कुरूपता को मिटा देती हैं | Short Motivational Story In Hindi

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प्रेरक कहानी : मन की सुंदरता तन की कुरूपता को मिटा देती हैं | Short Motivational Story In Hindi



प्रेरक कहानी : मन की सुंदरता तन की कुरूपता को मिटा देती हैं | Short Motivational Story In Hindi

प्रेरक कहानी मन की सुंदरता तन की कुरूपता को मिटा देती हैं कहानी में बताया गया है कि कुरूप व्यक्ति को सदैव यह प्रयत्न करना चाहिए कि वह अपने अच्छे कर्म व आचरण से दूसरों का मन जीत लें। इससे उसकी कुरूपता मिट जाती है। तन की सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण होती है मन की सुंदरता, अच्छे विचार और अच्छा व्यवहार। 

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आम का एक पेड़ था। उस पेड़ में चीड़ा और चीड़ी नाम के पक्षियों का एक जोड़ा रहता था। वह दोनों अपने बच्चों की खूब देखभाल करते थेे। 


चीड़ी के बच्चों को उड़ना भी नहीं आता था, इसलिए दोनों बारी-बारी से खाना लाने जाते थे। जब चीड़ा खाना लेने जाता था, तो चीड़ी बच्चों की देखभाल करती थी। और जब चीड़ी खाना लेने जाती थी, तो चीड़ा बच्चों की देखभाल करता था।

एक दिन उस पड़े पर एक गिद्ध आकर रहने लगा। उसके चोंच, पंख और पजों को देखकर चिड़िया के बच्चे डर गए। उनके माता-पिता ने समझाते हुए कहा कि वह गिद्ध हमें परेशान नहीं करेगा। बच्चों के मन से भय दूर नहीं हुआ। गिद्ध को देखकर वे भयभीत हो जाते।

एक दिन की बात है। गिद्ध आसमान में उड़ रहा था। चिड़ा बच्चों के लिए दाना लाने गया था। चिड़ा के जाने के बाद चिड़ी बच्चों की रखवाली करने लगी। 
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तभी अचानक एक सांप घूमता हुआ, उस पेड़ के पास आया। वह पेड़ पर चढ़ने लगा। यह देखकर चिड़ी चिल्लाने लगी। उसने सांप से विनती करते हुए कहा, ‘‘मेरे बच्चों को छोड़ दो।’’ लेकिन सांप नहीं माना।

सांप ने चिड़ी से कहा, ‘‘मैं तो बहुत दिन से भूखा हूॅ। अब तो में तुम्हारे बच्चों को खा कर अपना पेट भरूगा।’’ 

वह घोंसले के पास आ गया। चिड़ी अपने चोंच से साॅप को मारने लगी लेकिन साॅप को इसका कुछ असर नहीं हुआ।

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सांप को देखकर चिड़ी के बच्चे जोर-जोर से चिल्लाने लगे। शोर सुनकर गिद्ध ने नीचे देखा कि एक साॅप चिड़ी के बच्चों को खाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया है।


सांप को पेड़ पर देखकर वह जल्दी से नीचे आया और साॅप को पंजे में दबाकर आसमान में उड़ गया। 

यह देखकर बच्चों ने सोचा जिसे हम अपना दुश्मन समझते थे, उसी ने आज हमारी मदद की। 

तब तक चिड़ा भी आ गया। चिड़ी ने सारी बात चिंड़ा को बता दी। यह सुनकर चिड़ा ने अपने बच्चों से कहा, ‘‘कभी किसी की सूरत नहीं देखना चाहिए, बल्कि उसका मन देखना चाहिए। 

आज यदि वह गिद्ध यहां नहीं होता तो वह तुम सभी को खा लेता। इसीलिए बच्चों पहले किसी को जांचो परखो फिर उसके प्रति विचार अपने मन मंे लाओ।’’

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शिक्षा:- 

इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि 

तन की सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण होती है मन की सुंदरता, अच्छे विचार और अच्छा व्यवहार।

कुरूप व्यक्ति को सदैव यह प्रयत्न करना चाहिए कि वह अपने अच्छे कर्म व आचरण से दूसरों का मन जीत लें। इससे उसकी कुरूपता मिट जाती है।

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